पटना। विपक्ष के राष्ट्रपति पद उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने शुक्रवार को दावा किया कि जब उन्होंने अपनी उम्मीदवारी को लेकर संपर्क करना चाहा, तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनका फोन उठाने से इंकार कर दिया।
प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में नीतीश कुमार के साथ मंत्रिमंडल में रहे सिन्हा ने कहा कि जब विपक्षी दलों ने मुझे अपना साझा उम्मीदवार बनाने का निर्णय लिया, तो कई राज्यों में फोन के जरिए संपर्क साधने के क्रम में बिहार के मुख्यमंत्री को भी कई बार संदेश भिजवाया कि मैं उनसे बात करना चाहता हूं, पर शायद स्टेटस की तुलना में इतना नीचे था कि उन्होंने मुझसे बात करना उचित नहीं समझा।
सिन्हा 18 जुलाई को होने वाले राट्रपति पद के चुनाव के लिए प्रचार करने के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे। इस मौके पर बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव, बॉलीवुड अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न सिन्हा और पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के करीबी सुधींद्र कुलकर्णी भी मौजूद थे।
सिन्हा ने कहा कि अगर नीतीश कुमार से उनकी बात हुई होती, तो वह यही कहते कि उन्हें बिहार के बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिहार से उम्मीदवार होने के बावजूद वह मेरे समर्थन में आगे नहीं आ रहे हैं, यह मेरी समझ में नहीं आ रहा है क्योंकि जिस दिन द्रौपदी मुर्मू के नाम की घोषणा गई, (ओडिशा के मुख्यमंत्री) नवीन पटनायक ने भी उसी दिन घोषणा कर दी कि चूंकि वह ओडिशा की बेटी हैं, इसलिए वह उनका समर्थन करेंगे।
उन्होंने कहा कि इसके पहले भी प्रतिभा पाटिल के उम्मीदवार बनने पर शिवसेना ने पंक्ति तोड़ते हुए उनके समर्थन की घोषणा कर दी थी।
सिन्हा ने कहा कि यह बिहार के लिए अच्छा होगा यदि 60 साल के अंतराल के बाद मिट्टी का एक और बेटा शीर्ष पद पर आसीन हो, जो डॉ. राजेंद्र प्रसाद के पास था। यह वह शहर है, जहां मेरा जन्म हुआ, मैंने अपनी शिक्षा प्राप्त की, पटना विश्वविद्यालय में पढ़ाया और बिहार काडर के आईएएस अधिकारी के रूप में मैंने सेवा दी।
नौकरशाह से नेता बने पूर्व भाजपा नेता सिन्हा आरोप लगाते रहे हैं कि मुर्मू एक रबर स्टैंप होंगी। उन्होंने लोगों से कहा कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में राजग की राष्ट्रपति पद उम्मीदवार मुर्मू द्वारा नामांकन पत्र दाखिल करने की तस्वीर को याद करें।
उन्होंने कहा कि लोग प्रतिभा पाटिल के बारे में बात करते हैं कि वह एक रबर स्टैंप थीं, लेकिन जब वह मैदान में उतरीं, तो उन्होंने अपने कागजात स्वयं सौंपे थे। मुर्मू के मामले में यह वर्तमान प्रधान मंत्री थे जिन्होंने कागजात सौंपे। यह आने वाली चीजों के बारे में स्पष्ट संकेत हैं।