इलाहाबाद कुंभ मेले में रूसी साधुओं की धूम

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पूरे दिन गुरु सेवा, शिविर के काम के बाद शाम होते ही योग-ध्यान में मग्न भगवा वस्त्रधारी रूसी साधु उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद में आगामी 14 जनवरी मकर संक्रांति से शुरू हो रहे महाकुंभ में सभी के आकर्षण का केन्द्र बने हैं।

अपना वतन छोड़ शांति की तलाश में आए यह साधु महाकुंभ में संन्यासी जीवन बिता रहे हैं। बीस से ज्यादा इन रूसी साधुओं की उम्र बीस से 35 साल के बीच है। ऐसा नहीं कि गरीबी इन्हें वैराग्य की ओर खींच लाई है। इनमें कोई सिविल इंजीनियर है तो कोई सॉफ्टवेयर इंजीनियर तो कोई उम्दा चित्रकार। सभी धनी परिवार से सम्बन्ध रखते हैं और अच्छी खासी नौकरी छोड़कर यहां आए हैं।

सभी साधु पंच दशनामी जूना अखाड़ा से जुडे हैं तथा गुरू की सेवा इनका मूल भाव है। आश्रम के अन्दर इन विदेशी साधुओं ने बारह पंडाल बनाए हैं जिसमें बड़े साधु रहते हैं।

आश्रम में इन्हें काम करते देखना कौतुहल पैदा करता है। बिना किसी की ओर देखे ये अपने काम में मशगूल रहते हैं। इनके गुरू महायोगी पायलट बाबा ने इन्हें हिन्दी नाम दे रखे हैं। कोई लक्ष्मण है तो कोई मीसा और कोई सत्यम या आत्मानंद। (वार्ता)
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