कुंभनगरी में होली की धूम

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कुंभनगरी में होली की धूम में श्रद्घालु तो झूमे ही, विभिन्न अखाड़ों के नागा भी रसविभोर हुए बिना नहीं रह सके। योगगुरु रामदेव से लेकर आर्ट ऑफ लिविंग के श्रीश्री रविशंकर, आचार्य बालकृष्ण, स्वामी चिदानंद मुनि सभी होली खेलते हुए एक-दूसरे को अबीर-गुलाल से सराबोर करते दिखे।

होली के अवसर पर यहाँ दिव्य प्रेम सेवा मिशन में रामदेव, श्रीश्री रविशंकर एवं स्वामी चिदानंद मुनि ने कुष्ठ रोगियों के साथ होली खेली। सभी साधु-संत एक-दूसरे के शिविरों में पहुँचे और एक-दूसरे को रंग व अबीर-गुलाल से सराबोर कर दिया। श्रीश्री रविशंकर के नीलधारा स्थित शिविर में एक प्रसिद्ध बैंड, ऑर्केस्ट्रा की धुन पर उनके भक्त और अनुयायी झूमने लगे।

यहाँ होली की मस्ती और भक्ति की रसधारा का अनूठा संगम तब देखने को मिला, जब श्रीश्री रविशंकर ने संगीत की धुन के साथ ठुमके लगाने शुरू कर दिए। इस अनूठे अवसर पर स्वामी रामदेव और चिदानंद मुनिजी महाराज को भी श्रीश्री रविशंकर ने झूमने पर मजबूर कर दिया। संतों की इस फूलों की होली के साथ-साथ नृत्यलीला से वहाँ उपस्थित सभी भक्त भावविभोर होकर नाचने लगे।
अपने गुरुओं को आनंदित, आह्लादित होता देख भक्त भी होली के रंगों के साथ-साथ भक्ति में डूबते नजर आए। भेदभावों एवं ऊँच-नीच की दूरियों को पाटकर बस प्रेम और प्यार की वर्षा करना, यही है जीवन जीने की कला, जिसका संदेश संतों ने दिया।

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दूसरी ओर यहाँ सबसे बड़े अखाड़े जूना अखाड़े में भी सुबह से साधु-संतों एवं नागाओं की टोलियों ने एक-दूसरे के पास जाकर होली की बधाइयाँ दीं और अबीर-गुलाल लगाया। साधुओं ने अपने-अपने गुरुओं, ईष्ट देवता, दत्तात्रेय भगवान शिव व गणेश की प्रतिमाओं पर रंग लगाकर आशीर्वाद प्राप्त किया। इसी प्रकार अन्य अखाड़ों बैरागी शिविरों में भी साधुओं ने जमकर होली खेली।

दशनाम अवधूती परंपरा के साधु शिव के गणों के समान तन पर भभूत की जगह गुलाल में रंगे सनातनी संस्कृति एवं परंपरा को और मजबूत बनाने का काम कर रहे थे। कुंभ नगरी में लोगों ने बड़े उल्लास के साथ होली का त्योहार मनाया। कुंभ मेले में देश-विदेश के श्रद्घालुओं के जुटने का सिलसिला अब होली के बाद तेज होने के संकेत हैं।

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