कुंभ में महानिर्वाणी अखाड़ों के चुनाव

- महेश पाण्डे

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कुंभनगरी में महानिर्वाणी अखाड़े के आठ संतों को जहाँ श्रीमहंत की पदवी देकर उनका स्वागत किया गया वहीं आठ संतों को कोरोबारी पदवी से विभूषित किया गया। इस मौके पर इस अखाड़े के संतों को पदारूढ़ करने के बाद सभी संतों ने उनका स्वागत किया।

कुंभ के समापन तक तमाम अखाड़े अपने चुनाव भी सम्पन्न कराते हैं। इन अखाड़ों की व्यवस्था के तहत कई संतों को इसी दौरान तमाम उपाधियों से लैस कर उन्हें प्रशासनिक अधिकार भी दिए जाते हैं। इसी परम्परा के तहत आज महानिर्वाणी अखाड़े ने अपने इस परम्परा का निर्वाह किया।

कुंभनगरी में भीड़ के छँट जाने के बाद अब संतों की धूनियों को भी समेटने का क्रम जारी है। तमाम यज्ञशालाओं को भी समेटने का क्रम जारी है। एक यज्ञशाला में हवन के दौरान भीषण अग्निकांड हो गया जिसमें दर्जनभर श्रद्घालु और संत झुलस गए। हवन के दौरान हवन कुण्ड से निकली चिंगारी के ज्वाला का रूप धारण कर लेने से यह हादसा हुआ।

घटना के अनुसार सप्तसरोवर क्षेत्र में सोमवार की सुबह धरनीचार्य महाराज के शिविर में यज्ञ में आहुति डाली जा रही थी इस आहुति में अचानक भड़की आग ने यज्ञशाला को ही अपनी चपेट में ले लिया।

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इससे यह यज्ञशाला तो भस्मीभूत हो ही गई, तेज हवाओं से फैली आग ने स्वामी रंग रामानुजाचार्य के लक्ष्मीनारायण मंदिर शिविर सहित एक दर्जन टैंट व पंडालों को अपनी चपेट में ले लिया। इस बेकाबू आग में आधा दर्जन स्त्री-पुरुष भी झुलस गए। इससे पूरे सप्तसरोवर क्षेत्र में कोहराम मच गया।

दमकल विभाग की दर्जन भर गाडि़याँ कई घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पा सकी। शिविर में फँसे लोगों की चीत्कार ने पूरे क्षेत्र में कोहराम मचा दिया। टैंटों एवं शिविरों में रखा तमाम सामान सहित लाखों की नगदी भी इस आग ने भस्म कर डाली। अभी रविवार को ही मायादेवी मंदिर में गैस लीक होने से लगी आग से तबाही होते बची थी।

दूसरी ओर कुंभनगरी में श्रद्घालुओं का आना-जाना जारी है। शाही स्नान के सम्पन्न होने के बाद आज लौटने वालों की भीड़ से रेलवे ने कुछ राहत ली है। इस भीड़ के चलते रेलवे द्वारा देहरादून के बजाए कई गाडि़यों को हरिद्वार से ही शुरू कर रखा था। इनमें लिंक एक्सप्रेस, राश्ती गंगा एक्सप्रेस, लाहोरी एक्सप्रेस, जनता एक्सप्रेस को आज देहरादून से ही चलाने का निर्णय हुआ।

इसके अलावा सहारनपुर तक आने वाली कई गाडि़यों को हरिद्वार तक चलाया जा रहा था। इन्हें भी अब अपने पुराने गंतव्यों से ही चलाए रखने की छूट दे दी गई। यात्रियों की भारी भरकम संख्या को देख लगाई गई दस स्पेशल ट्रेनों का भी संचालन बंद कर दिया गया।

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