कुंभ मेले के दौरान गंगा नदी में कटाव

मण्डलायुक्त ने किया कुंभ मेले का निरीक्षण

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- आलोक त्रिपाठी (इलाहाबाद से)
मण्डलायुक्त इलाहाबाद देवेद्गा चतुर्वेदी ने गत दिवस कुंभ मेला क्षेत्र के सेक्टर 11, 12, 13 एवं 14 के विभिन्न स्नान घाटों एवं सफाई व्यवस्था का स्थलीय निरीक्षण किया। आयुक्त चतुर्वेदी ने त्रिवेणी डाउन पाण्टून पुल के बीच निरीक्षण के दौरान पाया कि गंगा नदी के किनारे काफी अतिक्रमण कर पण्डाल लगा दिए गए है।

वर्तमान में गंगा नदी में हो रही अत्यधिक कटान के कारण दुर्घटनाएं हो सकती है अतः सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए सेक्टर मजिस्ट्रेट 11 को निर्देशित किया कि इस स्थान पर हुए अतिक्रमण को हटवाएं।

उन्होंने पाया कि त्रिवेणी पाण्टून एवं जगदीश रैम्प से महाबीर पाण्टून तक अत्यधिक कटान होने के कारण कोई भी स्नान घाट बनाया जाना सम्भव नहीं हो पा रहा है। जगदीश एवं महावीर पाण्टून पुलों के बीच नदी के किनारे गाटा रोड पर कई स्थानों पर कीचड़ हो गया है।

कीचड़ का कारण, नल का पानी रोड पर आने की वजह पाई गयी। उन्होंने जल निगम विभाग को निर्देश दिया कि गढ्‌ढा बनाकर पानी एक स्थान पर एकत्रित करें, अथवा विकल्प के रूप में प्लास्टिक की पाइप डालकर पानी को सीवर लाइन से जोड़ा जाए।

जगदीश एवं महावीर पाण्टून के पुलों के बीच नदी के किनारे अत्यधिक गन्दगी भी पाई गई। देखने से ऐसा प्रतीत हुआ कि कई दिनों से सफाई नहीं हुई है, ब्लीचिंग न डालने के कारण बदबू आ रही है। आयुक्त ने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिया कि अतिशीघ्र इस स्थान पर सफाई व्यवस्था सुनिश्चित कराएं। निरीक्षण के दौरान आयुक्त ने पाया कि महावीर मार्ग के उत्तरी पटरी पर गढ्‌ढा एवं ड्रेन का पानी सीधे गंगा नदी में जा रहा है।

उन्होंने जल निगम को शीघ्र ही इस पानी को रोककर पानी के निस्तारण के वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। सेक्टर नं. 12 के निरीक्षण के दौरान आयुक्त ने पाया कि महावीर पाण्टून और अक्षयवट पाण्टून के मध्य 600 फीट स्नान घाट उपलब्ध है परन्तु इस स्थान की चौड़ाई कम है।

इस घाट पर कहीं भी यूरिनल नहीं बनाया गया है और न ही कोई चेन्ज रूम है। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिया कि इस घाट पर शीघ्रातिशीघ्र यूरिनल बनाया जाना सुनिश्चिचत करें।

अक्षयवट पाण्टून पुल के आगे निरीक्षण करते हुए उन्होंने पाया कि लगभग 500 फीट का घाट कटान के कारण समाप्त हो गया हैं। कटान होने का मुख्‍य कारण यह था कि दिनांक 26 व 27 जनवरी को अतिरिक्त जल नदी में छोड़ा गया था। यह बताया गया कि माननीय उच्चन्यायालय के आदेशों के क्रम में यह जल छोड़ा गया है।

स्नान के एक दिन के पहले जल स्तर का बढ़ना सुरक्षा की दृष्टिकोण से उचित नहीं है इसका प्रभाव यह होता है कि जो घाट स्नान के पहले तैयार किए गए है वह असुरक्षित हो जाते हैं। सिंचाई विभाग को निर्देशित किया गया कि माननीय उच्चन्यायालय के समक्ष पक्ष रखते हुए यह निवेदन करें कि स्नान के दो दिन पहले जल न बढ़ाया जाए।

यदि माननीय उच्चन्यायालय द्वारा भी अतिरिक्त जल छोड़ने के लिए निर्देश दिए जाते हैं तो कम से कम पांच दिन पहले जल छोड़ने का अनुरोध किया जाए। जिससे कि पूर्व में बनाए हुए घाट को सुरक्षित बचाए जा सके। निरीक्षण के दौरान उन्होंने पाया कि सरस्वती घाट पर कटान की वजह से बोरियां बह गई है और घाट का स्लोप समाप्त हो गया है।

अतः आवश्यक है कि 10 फरवरी के स्नान को दृष्टिगत रखते हुए यहां पर स्नान घाट हेतु स्लोप बनाया जाए जिससे तीर्थ यात्री सुविधापूर्वक स्नान कर सकें। उन्होंने सिंचाई विभाग को निर्देश दिए कि उक्त कार्य शीघ्र कराएं। सेक्टर नं. 12 के पुल नं.17 के अपस्ट्रीम में लगभग 3500 फीट एवं डाउनस्ट्रीम में लगभग 2500 फीट अच्छा स्नान घाट उपलब्ध पाया गया।

सेक्टर 14 के सेक्टर मजिस्ट्रेट द्वारा अवगत कराया गया कि लगभग 400 फीट स्नान घाट सोमेश्वर महादेव मन्दिर के सामने विकसित हो सकता है, क्योंकि नदी का जलस्तर दो से तीन फीट रहेगा। उचित होगा कि 10 फरवरी के स्नान हेतु घाट के निर्माण पर विचार किया जाय।

आयुक्त चतुर्वेदी ने पाया कि डीपीएस स्कूल के सामने लगभग 800 फीट का स्नान घाट बना है क्योंकि यह स्नान घाट सबसे दूर का स्नान घाट है। उन्होंने निर्देश दिया कि मुख्‍य मार्गों पर संकेत चिन्हों के माध्यम से स्नान घाट को इंगित किया जाए जिससे स्नानार्थी घाट का उपयोग कर सकें।

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