मंदिर हटाने के विरुद्ध संत भड़कें

- महेश पाण्डे

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कुंभनगरी में कुंभ के दौरान बैरागियों के अणियों व खालसों द्वारा बैरागी कैंप में तीन भव्य मंदिर बना दिए गए थे। इन मंदिरों को कुंभ समाप्ति के बाद प्रशासन द्वारा तोड़ने की घोषणा से संत भड़क गए हैं। गुरुवार को अखिल भारतीय परिषद के महंत ज्ञानदास ने इस मामले पर पत्रकारों के समक्ष शुक्रवार से धरना शुरू करने का ऐलान कर दिया।

महंत ज्ञानदास का कहना है कि कुंभ के दर्मियान जब हनुमान जी की चरण पादुकाएँ स्थापित कर भव्य मंदिर का निर्माण किया जा रहा था तो प्रशासन ने रोका नहीं। अब चार माह की निरंतन पूजा एवं प्राण-प्रतिष्ठा के बाद मंदिर को तोड़ना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि प्रशासन न्याय की बात करता है तो घोड़ा पुलिस के लिए बनी पुलिस लाईन भी बैरागी कैम्प में बिना अनुमति के अवैध बनी है, उसे भी तोड़े।

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महंत ज्ञानदास ने प्रशासन की मंदिर हटाने की घोषणा के विरुद्घ अपने लाव लश्कर के साथ कल प्रातः से धरने की घोषणा कर दी है। चार माह तक कुंभ का योग ऋषिकेश हरिद्वार को 500 करोड़ रुपए का व्यापार दिला गया। सरकार द्वारा चार माह का घोषित कुंभ काल 30 अप्रैल को खत्म माना जाएगा। औपचारिक समापन घोषित होने से पूर्व राज्य मंत्रिमंडल भी कुंभ नहाकर यहाँ अपनी मंत्रिमंडलीय बैठक के बाद ही इस महा आयोजन की समाप्ति की घोषणा करना चाहता है।

राज्य के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में होने वाली राज्य की यह पहली कैबिनेट होगी, जो राज्य सचिवालय से बाहर की जाएगी। इसमें क्या निर्णय होंगे यह तो कैबिनेट के बाद ही पता लगेगा, तथापि मुख्यमंत्री मालदीव व नेपाल द्वारा अपनी चिंताओं से अन्तर्राष्ट्रीय जगत को चेताने के लिए जिस प्रयोग का सहारा लिया गया, उसी प्रयोग का सहारा गंगा को बचाने के लिए लेना चाहते हैं। इसी बैठक में कुंभ की औपचारिक समाप्ति की घोषणा भी की जाएगी।

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