कुंभ मेला : त्र्यंबकेश्वर में तीसरा अंतिम ‘शाही स्नान’

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नासिक (महाराष्ट्र)। विश्वभर में आस्था के लिए लाखों लोगों के एकत्र होने के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन नासिक सिंहस्थ कुंभ के मद्देनजर आज (शुक्रवार को) त्र्यंबकेश्वर में तीसरा और अंतिम ‘शाही स्नान’ संपन्न होगा। 

हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से यह हर 12 साल में आयोजित होता है। जब माघ महीने में सूर्य और बृहस्पति एक साथ सिंह राशि में प्रवेश करते हैं तब नासिक और त्र्यंबकेश्वर में कुंभ का आयोजन होता है। इसमें कई अखाड़ों के साधु और लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं। कुंभ को धार्मिक वैभव और विविधता का प्रतीक भी माना जाता है। कुंभ को सबसे बड़े शांतिपूर्ण सम्मेलन के तौर पर जाना जाता है। 
 
कुंभ स्नान कोई आम डुबकी नहीं है बल्कि यह विश्वास और आस्था की डुबकी है, जो आपके जीवन की सारी बुराइयों को धो देती है और सौभाग्य लाती है। आज त्र्यंबकेश्वर में अंतिम शाही स्नान में विभिन्न अखाड़ों ने भाग लिया। 
 
आज सुबह 4.15 से दोपहर 12 बजे तक 10 अखाड़ों से जुड़े हजारों ऋषि, महंत और साधुओं ने  कुशवर्त तीर्थ में पवित्र स्नान किया, तत्पश्चात हजारों श्रद्धालुओं को देर रात तक पवित्र स्नान करने की इजाजत रहेगी। इससे पहले 18 सितंबर को नासिक में गोदावरी नदी में तीसरे ‘शाही स्नान’ के अवसर पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान किया था।
 
कुंभ में भीड़ के मद्देनजर शहर में 7,000 से अधिक पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। जिला पुलिस अधीक्षक संजय मोहिते ने कहा कि सभी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए सभी उपकरणों से लैस नियंत्रण कक्ष बनाए गए हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए नासिक खंड के महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (एमएसआरटीसी) द्वारा नासिक से त्र्यंबकेश्वर के लिए 700 विशेष बसें भी चलाई जा रही हैं। 
 
सिंहस्थ कुंभ के बारे में हिन्दू मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत के कुंभ से हरिद्वार, इलाहाबाद (प्रयाग), नासिक और उज्जैन- इन चारों स्थानों पर अमृत की कुछ बूंदें गिर गई थीं। कुंभ की अवधि में इन पवित्र नदियों में डुबकी लगाने से प्राणीमात्र के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।
 
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