उसके बाद निरंजनी व आनन्द अखाड़ों की बारी थी जिसमें सबसे आगे अखाड़ों के महन्त व उनके साधु-संत व देश विदेश से आए उनके संत चल रहे थे उसके बाद जूना, आवाहन, पंचाग्निभन, निर्मोही, दिगंबर, निर्वाणी, नया पंचायती अखाड़ा, बड़ा पंचायती अखाड़श और सबसे अन्त में लगभग दोपहर 3:40 पर निर्मल पंचायती अखाड़े का शाही जुलूस निकला और संगम तट पर पहुंचकर जमकर स्नान किया।
गौरतलब है कि दस फरवरी को मौनी अमावस्या के मौके पर पिछले ‘शाही स्नान’ के दौरान यहां रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में 39 तीर्थयात्री मारे गए थे। यही वजह रही की इस बार अखाड़ों ने बैंड बाजों से साथ जुलूस नहीं निकाला।
सुरक्षा के कड़े इंतजाम : किसी अप्रिय घटना को रोकने के लिए आज के स्नान की व्यवस्था के तहत पीडब्ल्यूडी और जल निगम को भी पूरी सतर्कता बरतने के आदेश दिए गए थे। बरसात के कारण बढ़ी सर्दी से बचाव के लिए हर चौराहे पर अलाव जलाने की व्यवस्था करने के आदेश दिए गए थे।
कुंभ मेला इलाके में सुरक्षा के तगड़े इंतजाम किए गए थे और पुलिस तथा अर्धसैनिक बलों समेत 25 हजार कर्मियों को यह सुनिश्चित करने के काम में लगाया गया था कि अंतिम प्रमुख स्नान शांतिपूर्ण तरीके से निपट जाए।
विशेष ट्रेन और बस चलायी गई : पवित्र स्नान के बाद शहर से तीर्थयात्रियों की सुचारू तरीके से वापसी सुनिश्चित करने के लिए आज से रविवार तक 70 विशेष ट्रेनें चलायी जाएंगी। ये ट्रेनें नियमित आधार पर चलने वाली ट्रेनों से अलग होंगी।
उत्तरप्रदेश रोडवेज भी तीर्थयात्रियों की भीड़ कम करने के लिए छह हजार अतिरिक्त बसें चला रहा है। कल से ही शहर में भारी वाहनों का प्रवेश वर्जित है और ये प्रतिबंध कल शाम तक लगे रहने की संभावना है।
कुं भ पूर् ण होन े क ी घोषणा : बसंत पंचमी का अंतिम शाही स्नान संपन्न होने के साथ ही आज अखाड़ों के शिविरों पर लहराती धर्म ध्वजा ढीली कर अखाड़ों ने विधिवत् इलाहाबाद कुंभ पूर्ण होने की घोषणा की।
अखाड़ों की परंपरा के अनुसार आज इलाहाबाद कुंभ मेले का अंतिम शाही स्नान करने के बाद अखाड़ों ने अपने अपने शिविर में वापस लौटकर कुंभ की शुरुआत में स्थापित की गई धर्म ध्वजा को एक तरफ की रस्सी खोलकर ढीला कर दिया और इस तरह कुंभ मेला पूर्ण होने की रस्म अदा की।
परंपरा के अनुसार अब शाही स्नान नहीं होंगे इसलिए अखाड़ों के लिए एक तरह से कुंभ संपन्न हो गया। कुंभ की बाकी बची अवधि में केवल पर्व स्नान किए जाएंगे। बसंत पंचमी के स्नान के साथ ही अखाड़े अपने अपने स्थानों की ओर रवाना हो जाएंगे, जबकि शिव के उपासक संन्यासी अखाड़े शिवरात्रि पर शिव की नगरी बनारस पहुंचकर शाही स्नान करेंगे।
आजम खान को साधुवाद : एक अन्य घटनाक्रम में गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य जगद्गुरु स्वामी अधोक्षजानंद ने उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा आजम खां के इस्तीफे को अस्वीकार करने का स्वागत करते हुए कहा कि दुर्घटना एक इत्तेफाक थी।
उन्होंने कहा कि आजम खां ने मुस्लिम होने के बावजूद हिंदुओं के इस सबसे बड़े आयोजन की व्यवस्था को पूरी तन्यमयता से अंजाम दिया, जो सामाजिक सौहार्द की मिसाल है। (वेबदुनिय/एजेंसी)