कुंभ बना अखाड़ा परिषद का अखाड़ा

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महाकुंभ में अखाड़ों की अहम भूमिका होती है। इनका शाही स्नान सबसे खास होता है। मेले के दौरान परिषद के निर्देश पर ही मेला प्रशासन अखाड़ों के शाही जुलूस, स्नान करने का समय, स्थान सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराता है।

शायद हिंदू समाज के लिए यह शर्म की बात है कि अखाड़ों में एकता न कभी रही और न आज है। हर कुंभ में अखाड़ा परिषद को भंग किया गया है इस बार भी यही हुआ। सोमवार को वैष्णव अखाड़ों के प्रभुत्व वाले नए अखाड़ा परिषद के गठन संबंधी प्रस्ताव को अंतिम रूप दे दिया गया। इसका प्रारूप लगभग-लगभग तैयार है, हालांकि अधिकृत घोषणा महंत ज्ञानदास के आने के बाद ही की जाएगी।

अखाड़ा परिषद के दो गुटों में विभाजित होने से जहां मेला प्रशासन परेशान है वहीं यह विवाद मुख्यमंत्री तक पहुंच गया है। गत दिनों मेला प्रशासन की बैठक में महंत ज्ञानदास को अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष कहने पर हंगामा खड़ा हो गया था।

अखाड़ा परिषद को भंग किए जाने के प्रस्ताव से नाराज तीनों अनी अखाड़ा के प्रधानमंत्री महंत माधवदास ने सोमवार की शाम को निर्मोही अखाड़े में सभी प्रमुख मंहतों की बैठक बुलाई। इसमें नए अखाड़ा परिषद की स्थापना का प्रस्ताव तैयार हुआ।

वैष्णव महंतों ने कहा कि उन सबको लगातार अपमानित किया जा रहा है। वह अब शैव अखाड़ों से अपने को अलग कर रहे हैं। महंत माधवदास ने कहा कि बिना सबकी राय सलाह के कैसे अखाड़ा परिषद भंग कर दिया गया।

महंत ज्ञानदास अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष हैं। तय हुआ था कि तीनों अनी निर्मोही, निर्वाणी और दिगंबर के अतिरिक्त अन्य 18 वैष्णव अखाड़ों को एकजुट करके वैष्णव अखाड़ा परिषद बनाया जाए। प्रशासन के साथ अपनी अलग बैठक की जाए। आगामी कुंभ में यही परंपरा कायम रखी जाए।

हालांकि निर्वाणी अनी अखाड़े के महंत धर्मदास ने शैव अखाड़ों से खुद को अलग किए जाने के मसले पर सोच-विचार के बाद निर्णय लेने की बात कही। कहा कि क्या भविष्य में शैव एवं बैरागी अखाड़े के साथ वे नहीं बैठेंगे। इस पर महंत माधवदास ने कहा कि उनकी बैठक हर मसले पर अलग से ही होगी।

निर्मोही अखाड़े के महंत राजेन्द्र दास ने कहा कि वे अपने अखाड़ों के निर्णय के साथ हैं। उन्होंने कहा कि एक फरवरी को महंत ज्ञानदास के आने का इंतजार हो रहा है। वैसे मंगलवार को वैष्णव अखाड़ों की फिर बैठक होगी। इसमें सभी महंत एवं खालसे एकत्र होंगे। तब सबकी सहमति से हल निकाला जाएगा।

मंत्रणा के दौरान निर्वाण अनी के महंत धर्मदास, जगन्नाथ दास, गौरीदास, श्यामसुंदर दास, दिगंबर के महंत रामकृष्ण दास, रामकिशोर दास, निर्मोही के रामाकांत दास, महंत राजेन्द्र दास उपस्थित रहे।
- ( एजेंसी)

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