कुंभ में गोल्ड बाबा ने पहने डेढ़ करोड़ के जेवरात और...

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PTI
साधु और संत लोगों को मोह के साथ माया का भी त्याग कर देने का उपदेश देते आ रहे हैं, लेकिन उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद मे गंगा, यमुना और विलुप्त सरस्वती के संगम पर चल रहे महाकुंभ में एक बाबा लगभग डेढ़ करोड़ के हीरे और सोने के जेवरात पहन चर्चा में बने हुए है।

गुजरात के गांधीनगर से आए सुधीर कुमार बिट्ट ऊर्फ गोल्ड बाबा जब भी जूना अखाड़ा से बाहर आते हैं उन्हें देखने वालो की भीड़ लग जाती है। बाबा को कम, लेकिन उनके गहने को देखने लोग बरबस ही ठिठक जाते हैं।

बाबा के हाथ की आठ अंगुलियों में हीरे की अंगूठी होती है तो गले में सोने की कई मोटी चेन। चेन में लगे लॉकेट में शिव, पार्वती, दुर्गा, सरस्वती हनुमान और साई बाबा की तस्वीर लगी होती है।

बाबा के शरीर पर चार किलो का सोना होता है जिसकी कीमत बारह लाख से ज्यादा है। हीरे की अंगूठियों की कीमत भी लाखों में है। उनका दावा है कि हीरे और सोने की कीमत डेढ़ करोड़ रुपए से ज्यादा है।

सुधीर कुमार बिट्टजी महाराज को गोल्ड बाबा नाम उनके भक्तों ने दिया है। उनका कहना है कि सोने के गहनों का उनका शौक काफी पुराना है। वह पिछले बीस साल से सोने के ऐसे गहने पहनते चले आ रहे हैं।

बाबा रात में सोने से पहले अपने सभी गहनों को उतार कर रख देते हैं तथा सुबह पूजा के बाद ही उसे धारण करते हैं। भगवान के साथ बाबा अपने आभूषणों की भी पूजा करते हैं। बाबा के शरीर पर इतने आभूषण है तो जाहिर तौर पर उनकी सुरक्षा भी कड़ी है। बाबा की सुरक्षा के लिए कई पुलिस वाले तैनात किए गए है।

उन्होंने कहा कि वह सभी शाही स्नान में शामिल होंगे तथा आगामी दस मार्च को महाशिवरात्रि के स्नान के बाद ही यहां से लौटेंगे। गोल्ड बाबा ने महंत मच्छेन्द्र गिरि से दीक्षा ली है। उनका कहना है कि मच्छेन्द्र गिरि ही उनके गुरु है।

सोने और हीरे के आभूषण धारण करने को वह महज अपना शौक बताते हैं। हालांकि बाबा के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि साधु-संतों को माया मोह त्याग देना चाहिए।

गोल्ड बाबा को सिर्फ सोने तथा हीरे का ही शौक नहीं है। उनकी कलाई में बंधी घड़ी की कीमत भी डेढ़ लाख रुपए है। कपड़े भगवा ही सही, लेकिन होते महंगे है।

इसके अलावा भी गोल्ड बाबा शानशौकत में कोई कमी नहीं रखते। उनके काफिले में चार मर्ससडीज कारें होती है। वह जब भी चलते हैं तो महंगी कार का ही इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने कहा कि वह अभी किसी को औपचारिक रूप से अपना भक्त नहीं बनाते। (वार्ता)

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