कुंभ मेला, तृतीय नायक : सोमेश्वर महादेव प्रयाग

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तीर्थराज प्रयाग के यमुना पार क्षेत्र में सोमेश्वर महादेव का मंदिर है। अरैल गांव के निकट इस मंदिर का पौराणिक महत्व है। पुराणों के अनुसार इस मंदिर में शिव विग्रह की स्थापना स्वयं चंद्रमा ने की थी। भोग-विलास की अधिकता से चंद्रमा को क्षय रोग हो गया था। बीमारी से छुटकारा पाने के लिए उन्होंने भगवान शिव का पूजन किया। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर देवाधिदेव महादेव ने उन्हें रोग से छुटकारा दिलाया।

सोमेश्वर तीर्थ प्रयाग की मध्यवेदी के प्रमुख तीर्थों में गिना जाता है। शिव की आज्ञा से चंद्रमा इस तीर्थ में निवास करते हैं। पुराणों के अनुसार सोमेश्वर तीर्थ में मंदिर के आसपास अमृत की वर्षा करते हैं।

सैकड़ों बरस पहले सोमेश्वर तीर्थ के आसपास सुंदर बगीचे थे। अब इस मंदिर की पुरानी गरिमा कुछ कम हो गई है। कुंभ, अर्द्धकुंभ, माघ और शिवरात्रि पर्व पर इस मंदिर में लाखों श्रद्धालु आते हैं। सोम तीर्थ में शिव मंत्र का जाप करने से मनोकामना पूरी होती है। चंद्रमा को औषधिपति कहा गया है, लेकिन वे स्वयं अपना रोग दूर नहीं कर पाए। इनका रोग भगवान शिव की कृपा से ही दूर हुआ।

प्रयाग महात्म्य में कहा गया है कि सोम तीर्थ में शिव की आराधना करने से श्रद्धालु के अनेक संकट कट जाते हैं।

सोम तीर्थ के आसपास वरुण तीर्थ, राम तीर्थ, सीता कुण्ड और हनुमान तीर्थ की स्थिति का प्रमाण पुराणों में मिलता है, लेकिन इनकी पहचान अब कठिन हो गई है।

प्रयाग के आठ महत्वपूर्ण मुख्य देवताओं में सोमेश्वर शिव को गिना जाता है, इसलिए महाकुंभ पर्व में आने वाले श्रद्धालु इस तीर्थ के दर्शन करते हैं। इस साल कुंभ मेला नगरी यमुना पार क्षेत्र में काफी दूरी तक बसाई गई है, इसलिए इस मंदिर के दर्शन आसानी से किए जा सकते हैं।
- वेबदुनिया संदर्भ

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