कुंभ मेले का महत्व जानिए....

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इस बार का कुंभ मेले का ज्यादा महत्व है। इस मेले में जहां ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति महत्वपूर्ण बताई जा रही है, वहीं त्रिवेणी के संगम पर 12 वर्षों के 12 चक्र पूर्ण हो रहे हैं।

144 वर्षों बाद आया हैं यह अवसर : प्रयाग में वैसे तो हर 12 वर्ष में कुंभ का आयोजन होता है लेकिन इस बार प्रत्येक 12 वर्ष के 12 चक्र पूर्ण हो चुके हैं अर्थात पूरे 144 वर्षों बाद आ रहा हैं महाकुंभ। पौष मास की पूर्णिमा से प्रारंभ हो रहा प्रयाग कुंभ विशेष महत्व रखता है।

प्रकाश की ओर ले जाएगा यह कुंभ : यह कुंभ अन्य कुंभों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह प्रकाश की ओर ले जाता है। यह ऐसा स्थान है जहां बुद्धिमत्ता का प्रतीक सूर्य का उदय होता है। इस स्थान को ब्रह्माण्ड का उद्गम और पृथ्वी का केंद्र माना जाता है।

यहां हुआ था महा यज्ञ : इस स्थान पर कुंभ का आना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस स्थान पर ब्रह्मा, विष्णु और शिव ने मिलकर महायज्ञ किया था।

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अद्भुत है यह त्रिवेणी का संगम : नदी में भी जहां त्रिवेणी हैं वहीं पर तीर्थ है। त्रिवेणी को संगम भी कहते हैं, लेकिन गंगा और यमुना का संगम सबसे महत्वपूर्ण है और वह भी प्रयाग में। संगम पर गंगा और यमुना नदी अगल-अलग नजर आती है। यह तट सचमुच ही मोक्ष देने वाला तट है।

इस बार होगी रिकार्ड तोड़ होगी भीड़ : साधु-संतों के अलावा देश-विदेश के श्रद्धालुओं का सैलाब देखने लायक होगा। यह दुर्लभ नजारा हर कोई देखना चाहेगा कि किस तरह एक ही स्थान पर चार करोड़ से अधिक लोग कैसे गंगा में स्नान करते हैं।

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