नई परंपरा को जन्म दे गया कुंभ

- गोपाल नारसन

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हरिद्वार में हो रहे सदी के पहले महाकुंभ के आखिरी स्नान पर्व पर फिर सभी 13 अखाड़ों ने नई परम्परा की शुरुआत करते हुए प्रतीकात्मक संयुक्त स्नान के लिए गंगा में कुंभ की आखिरी डुबकी लगाई। वहीं देश-विदेश से आए लाखों श्रद्धालुओं ने भी कुंभ के आखिरी स्नान का पुण्य कमाया।

हालाँकि कुंभ स्नान को नक्षत्र योग 13 मई तक रहेगा, लेकिन बुधवार को सभी घोषित स्नान पूरे हो जाने से मेला प्रशासन ने राहत की साँस ली है। कुंभ के अंतिम स्नान की शुरुआत सभी 13 अखाड़ों के दो-दो प्रतिनिधियों द्वारा प्रतीकात्मक स्नान के रूप में हर की पौडी पर डुबकी लगाने से हुई।

इससे पूर्व कुंभकाल में कभी भी अंतिम स्नान पर प्रतीकात्मक संयुक्त स्नान के आयोजन का उल्लेख नहीं है। लेकिन इस कुंभ में नई परंपराओं के तहत जहाँ एक शाही स्नान की वृद्धि हुई है, वहीं अंतिम स्नान में भी अखाड़ों की प्रतीकात्मक भागीदारी से यह कुंभ अब तक के सभी कुंभों से अलग माना जा सकता है।
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