हरिद्वार का कुंभ काल 30 तक

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कुंभ के अंतिम शाही स्नान पर हादसे की कसक संतों के चेहरे पर साफ दिख रही है। संतों ने अपने तम्बू समेटने शुरू कर दिए हैं। तीन माह तक चले धार्मिक अनुष्ठान एवं कुम्भ पेशवाइयाँ कुंभ कार्य के बीच आनंद व उल्लास से भरकर भक्तों को जी भर कर आशीर्वाद देने वाले संतों के मन में कल की भगदड़ एक टीस सी छोड़ गई। अब वे यहाँ रुकने को तैयार नहीं हैं। हालाँकि सरकार द्वारा घोषित कुंभ काल 30 अप्रैल तक है तो असली कुंभ योग जो कल से ही शुरू माना जा रहा है 13 मई तक है। इसमें स्नान पुण्य लाभ-अमृत योग सरीखा ही माना गया है। लेकिन संत डेरा-फेरा उठाने लगे हैं।

यही हाल श्रद्धालुओं का है। अमृतपान की चाह लेकर स्नान से हजारों अश्वमेघ यज्ञों की पुण्य प्राप्ति की कामना लिए हर बाधा को पार कर कुंभनगरी पहुँचे श्रद्धालु भी भगदड़ के बाद से डरे- सहमे, सावधान नजरों के साथ अपने गंतव्य को बढ़ रहे हैं। यहाँ आकर सुरक्षाकर्मियों की लताड़, होटलों की फटकार, धर्मशालाओं की दुत्कार एवं सरकारी अत्याचार झेलते-झेलते शायद अपने आने का मकसद भी इनमें से कितने श्रद्धालुओं को याद होगा कहा नहीं जा सकता। एक लाख से अधिक हल्के वाहन भी कुंभनगरी से विदा हो रहे हैं।

पूरे धर्म नगरी में तमाम कथा, भागवत, पुराण एवं यज्ञों के जरिए प्रभु के प्रेम में पग जाने का संदेश देने वाले प्रवचनों का श्रवण करने वाले भक्तों का स्वागत जिस तरह मेला प्रशासन ने किया, उससे भक्तों को भी कथनी-करनी में भेद साफ दिख रहा है।

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विदेशी भक्तों को कभी पैसों के खातिर संन्यासी बनाना, कभी उनकी प्रेमक्रीड़ा से प्रभावित हो उन्हें हिन्दुस्तानी रीति-रिवाज से शादी के बंधन में बाँधने को प्रेरित कर उनके इस संस्कार में शामिल हो अपनी सुर्खी बटोरना भी इस कुंभ के कुछ संतों का शगल रहा। कुंभ क्षेत्र में जहाँ तमाम हठयोगी, विद्वजन, योग पुरुष एवं पंडितों का बोलबाला था, वहीं कई मानव कल्याण में जुटे संतों का भी बोलबाला दिखा। उसमें भी कई कार्यक्रम कुंभ के दौरान तीर्थ नगरी में जारी रहेंगे। लेकिन अथाह भीड़ का सागर के, जो गंगा जी के तटों पर जुटा, अब अपनी जगहों को लौटने से अपेक्षाकृत तीर्थ नगरी को राहत मिल रही है।

जैसे-तैसे मुख्य स्नान के निबटने से मेला प्रशासन भी राहत में है। भगदड़ की घटना को एक अनहोनी बताकर प्रशासन इस बात से खुश है कि उसके नए स्नान घाटों के निर्माण ने एक ही दिन में जुट गए करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं को स्नान का मौका देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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