गजानन महाराज का प्रगटोत्सव

श्री गजानन महाराज का शेगाँव

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गजानन महाराज का 133वाँ प्रगटोत्सव तथा श्रीजी का 18वाँ मूर्ति स्थापना दिवस मनाया जाएगा। आज के दिन ही श्री गजानन महाराज शेगाँव में प्रगट हुए थे और उस दिन भी बुधवार और तारीख 23 फरवरी ही थी।

पूरी जगत का कल्याण करने के लिए समय-समय पर संतों के अवतार होते हैं और वे परोपकार में ही अपनी देह खपाते रहते हैं। ऐसे ही एक संत है- श्री गजानन महाराज शेगाँव वाले। श्री गजानन महाराज दिगंबर वृत्ति वाले सिद्ध कोटि के साधु थे। जो मिल जाए वह खाना, कहीं भी रह लेना, कहीं भी भ्रमण करना ऐसी ही कुछ उनकी दिनचर्या थी।

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उनके मुख से निरंतर परमेश्वर के भजन चलते रहते थे। शेगाँव में ही उनका समाधि मंदिर है। जब भी उनका कोई भक्त संकटों से जूझ रहा हो तो भक्तों के संकट दूर करके परमेश्वर दर्शन करवाने के सैकड़ों उदाहरण उनके चरित्र में मिलते हैं।

श्री गजानन महाराज का जन्म कब हुआ, उनके माता-पिता कौन थे, इस बारे में किसी को कुछ भी पता नहीं। पहली बार गजानन महाराज को शेगाँव में 23 फरवरी 1878 में बनकट लाला और दामोदर नमक दो व्यक्तियों ने देखा। एक श्वेत वर्ण सुंदर बालक झूठी पत्तल में से चावल खाते हुए 'गं गं गणात बूते' का उच्चारण कर रहा था और बीज मंत्र ' गं गं गणात बूते' का उच्चारण करने के कारण ही उनका नाम गजानन पड़ा।

महाराष्‍ट्र के प्रमुख तीर्थस्थलों में गजानन महाराज का शेगाँव स्थित मंदिर शामिल है, जहाँ हमेशा भक्‍तों की भीड़ लगी ही रहती है। शेगाँव में श्री गजानन का मंदिर बीचों बीच स्थित है जिसके महाद्वार की खिड़की रातभर खुली रहती है। श्री का समाधि मंदिर गुफा में है। मंदिर परिसर में वर्ष भर प्रवचन चलते रहते हैं। रोजाना पूजा-अर्चना विधिवत चलती है। काकड़ आरती से शयन आरती तक के कार्यक्रम नियम से चलते हैं।

गजानन महाराज चमत्कारी महापुरुष थे। उनके कई चमत्कारों को भक्तों ने प्रत्यक्ष देखा है। ऐसे महान संत के दुनिया भर में कई स्थानों पर मंदिर है।

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