19 जनवरी: ओशो रजनीश की पुण्यतिथि, जानें 15 रोचक बातें

WD Feature Desk
HIGHLIGHTS
 
* ओशो रजनीश के बारे में रहस्यमयी बातें।
* ओशो का मृत्यु से साक्षात्कार और मृत्युबोध।
* ज्योतिष ने बताया था 7वें वर्ष में मृत्यु होने का योग। 
 
Osho Rajneesh: आज, 19 जनवरी को ओशो रजनीश की पुण्यतिथि मनाई जा रही है। आइए जानते हैं उनके जीवन के बारे में 15 रोचक बातें-
 
1. ओशो रजनीश का जन्म 11 दिसंबर 1931 को कुचवाड़ा गांव, बरेली तहसील, जिला रायसेन (एमपी) में हुआ था। उनका जन्म नाम चंद्रमोहन जैन था। 
 
2. उनका बचपन गाडरवारा में बीता और उच्च शिक्षा जबलपुर में हुई। उनका बचपन अपनी नाना-नानी के पास गुजरा, वे वहीं रहते थे। 
 
3. ओशो ने अपनी प्रवचन माला ‘ग्लिप्सेंस ऑफड माई गोल्डन चाइल्डहुड’ उनके जन्म और बचपन के रहस्य से पर्दा उठाया है।
 
4. कहा जाता है कि ईसा मसीह जब अपने भारत भ्रमण पर थे तो जगन्नाथ पुरी जाते वक्त रास्ते में उन्होंने ओशो के जन्म स्थान गाडरवाड़ा पर कुछ देर समय बिताया था। ईसा मसीह एक गडरिये थे इसीलिए आज भी इस स्थान का नाम गाडरवाड़ा है। 
 
5. एक प्रसिद्ध ज्योतिषी से ओशो की नानी ने उनकी कुंडली बनवाई थी। कुंडली पढ़ने के बाद वह बोला, यदि यह बच्चा सात वर्ष जिंदा रह जाता है, उसके बाद ही मैं इसकी कुंडली बनाऊंगा, क्योंकि इसके लिए सात वर्ष से अधिक जीवित रहना असंभव ही लगता है, इसलिए कुंडली बनाना बेकार ही है। परंतु यह जीवित रह गया तो महान व्यक्ति होगा। 
 
6. ओशो को 7 वर्ष की उम्र में मृत्यु का अहसास हुआ परंतु वे बच गए। रजनीश अपने पिछले जन्म में एक कठिन उपवास पर थे, जिसमें तीन दिन ही शेष रह गए थे परंतु उनकी हत्या कर दी गई थी। 
 
7. अपने इस जन्म के 700 वर्ष पूर्व ओशो मृत्यु से पूर्व 21 दिन के उपवास की साधना कर रहा थे। पूरे 21 दिन के उपवास के बाद उन्हें शरीर छोड़ना था। इसके पीछे कुछ कारण थे, लेकिन 21 दिन पूरे नहीं कर सके, 3 दिन बच गए थे, वे 3 दिन इस जीवन में पूरे करने पड़े। यह जीवन उसी जीवन के क्रम में है। अत: ओशो ने जन्म के समय 3 दिन तक कुछ भी पीया नहीं नीहं था। 
 
8. ओशो जब पैदा हुए तो 3 दिनों तक न तो रोए और न ही हंसे। ओशो के नाना-नानी इस बात को लेकर परेशान थे लेकिन 3 दिनों के बाद ओशो हंसे और रोए। नाना-नानी ने नवजात अवस्था में ही ओशो के चेहरे पर अद्‌भुत आभामंडल देखा। अपनी किताब 'स्वर्णिम बचपन की यादें' (ग्लिप्सेंस ऑफड माई गोल्डन चाइल्डहुड) में उन्होंने इस बात का जिक्र किया है।
 
9. ओशो रजनीश के बचपन के 3 गुरु थे। मग्गा बाबा, पागल बाबा और मस्तो बाबा। इन तीनों ने ही रजनीश को आध्‍यात्म की ओर मोड़ा, जिसके चलते उन्हें उनके पिछले जन्म की याद भी आ गई थी।
 
10. 11 दिसंबर 1931 को ननिहाल कूचवाड़ा में जन्मे रजनीश चन्द्रमोहन जैन 1939 में अपने माता-पिता के पास गाडरवारा नरसिंहपुर में आकर रहने लगे। 
 
11. उन्होंने 1951 में स्कूल की शिक्षा पूरी की और दर्शनशास्त्र पढ़ने का निर्णय लिया। इस सिलसिले में 1957 तक जबलपुर प्रवास पर रहे। 
 
12. कहा जाता है कि ओशो को जबलपुर में 21 मार्च 1953 को 21 वर्ष की आयु में मौलश्री वृक्ष के नीचे संबोधि की प्राप्ति हुई। 
 
13. इसके बाद आचार्य रजनीश नाम के साथ 1970 तक शिक्षण और भ्रमण की दिशा में संलग्न हो गए। तदन्तर 1970 से 74 तक मुंबई में भगवान श्री रजनीश नाम से प्रवचन किए। 
 
14. उसके उपरांत 1981 तक पूना आश्रम में रहकर एक से बढ़कर एक प्रवचनों की बौछार कर दी। 1981 में पूना से अमेरिका गए और वहां 1985 तक रहकर पूरी दुनिया को अपनी क्रांतिकारी-देशना से हिलाकर रख दिया। 
 
15. ओशो रजनीश सन् 1985 में अमेरिका से निकलकर विश्व-भ्रमण पर चले गए। 1987 में ओशो नाम के साथ दोबारा पूना आगमन हुआ और 19 जनवरी 1990 को वे इन दुनिया से महाप्रयाण कर गए। मान्यतानुसार ओशो रजनीश ने 19 जनवरी 1990 को सायं 5 बजे के लगभग पूना स्थित अपने आश्रम में अपनी देह त्याग दी।

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