आचार्य महाप्रज्ञजी

महान दार्शनिक संत आचार्य महाप्रज्ञ

Webdunia
FILE

जन्म : 14 जून 1920
जन्म स्थान : टमकोर (झुंनुनू)
दीक्षा : 19 जनवरी 1931
आचार्य पद प्राप्ति : 5 फरवरी 1995
महाप्रयाण : 9 मई 2010

दुनिया भर में समय-समय पर ऐसे कई मनीषी एवं दार्शनिक हुए हैं, जिन्होंने अपने विचारों से मानवता को आलौकित किया हैं। उन्हीं में से एक आचार्य महाप्रज्ञजी है, जिन्होंने अपने मौलिक विचारधारा के माध्यम से आध्यात्मिक क्षेत्र को नया आयाम प्रदान किया तथा एक दार्शनिक संत के रूप में प्रतिष्ठित हुए।

राजस्थान के झुंझुनू जिले के टमकोर ग्राम में 14 जून 1920 को, एक संपन्न चोर‍डि़या परिवार में आषाढ़ कृष्‍ण त्रयोदशी के दिन गोधूली बेला में महाप्रज्ञजी का जन्म हुआ। उनका जन्म नाम 'नथमल' था। उनके पिता का नाम तोलाराम तथा माता का नाम बालूजी था।

FILE
मात्र दस वर्ष की उम्र में उनके मन में वैराग्य भाव जागृत हुआ, तब माता बालूजी ने सरदारशहर जाकर उन्हें आचार्य तुलसी के हाथों सौंप दिया। मुनिश्री तुलसीजी ने उन्हें अपने सांचे में ढाला और एक दिन तेरापंथ के मेधावी मुनियों में उनका नाम प्रतिष्ठित हो गया।

मृत्यु एक कसौटी है, जो जीवन के हर पल में साथ चलती है, आचार्य महाप्रज्ञ उस कसौटी को लेकर हम सबके बीच में जिए। हमें समता, समाधि, सम्यक्त्व की प्रेरणा देते रहे और स्वयं मृत्यु से हाथ मिलाते हुए उसका स्वागत करते रहें। हम सबसे बिदा हो गए।

आचार्यश्री अपनी साधना का सुपरिणाम लेकर गए हैं। लाखों भक्त मिलकर भी इसकी पूर्ति नहीं कर सकते, आज उनका अभाव सिर्फ जैन समाज को ही नहीं अपितु देश को अखर रहा है। उनका व्यवहार, उनकी मधुरता, उनकी समन्वय नीति का हम सभी को पालन करना चाहिए।

FILE
आचार्य महाप्रज्ञजी का अंतिम संदेश यही था, जैसा मैं विलीन हो गया एक दिन तुम भी विलीन हो जाओंगे। इसलिए नश्वर काया में जो अनश्वर बैठा हुआ है, उसे पहचानो और उस तत्व का स्वागत करो जो तुम्हारा है।

आचार्य महाप्रज्ञ अनुशासन, समन्वय, संस्कार व सामाजिक एकता के देवता थे। यह सच है कि सिर्फ जैन समाज को ही नहीं वरन संपूर्ण मानव समाज को अपूरणीय क्षति हुई है। अपने विचारों, अपने कृत्यों और अपनी कृतियों के माध्यम से आचार्य महाप्रज्ञजी जैसी महान आत्मा जहां कहीं भी हो सम्यक्त्व व संबुद्धता को प्राप्त ही होगी । आषाढ़ कृष्‍ण त्रयोदश ी क ा दि न पूर े दे श मे ं ' प्रज्ञ ा दिव स' क े रू प मे ं मनाय ा जात ा है ।

ऐसे महान राष्ट्रसंत, महान दार्शनिक आचार्य महाप्रज्ञजी को प्रज्ञ ा दिव स प र श त- श त नमन।।

- राजश्र ी कासलीवा ल

Show comments

क्या कर्मों का फल इसी जन्म में मिलता है या अगले जन्म में?

वैशाख अमावस्या का पौराणिक महत्व क्या है?

शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि में होंगे वक्री, इन राशियों की चमक जाएगी किस्मत

Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया से शुरू होंगे इन 4 राशियों के शुभ दिन, चमक जाएगा भाग्य

Lok Sabha Elections 2024: चुनाव में वोट देकर सुधारें अपने ग्रह नक्षत्रों को, जानें मतदान देने का तरीका

धरती पर कब आएगा सौर तूफान, हो सकते हैं 10 बड़े भयानक नुकसान

घर के पूजा घर में सुबह और शाम को कितने बजे तक दीया जलाना चाहिए?

Astrology : एक पर एक पैर चढ़ा कर बैठना चाहिए या नहीं?

100 साल के बाद शश और गजकेसरी योग, 3 राशियों के लिए राजयोग की शुरुआत

Varuthini ekadashi 2024: वरुथिनी व्रत का क्या होता है अर्थ और क्या है महत्व