आचार्यश्री विद्यासागर महाराज

ओम नमो आइरियाणाम..।

Webdunia
ND

जैन धर्म में आचार्य का दर्जा साधुओं और उपाध्यायों से उपर है। जो पाँच नमस्कार कहें गए हैं उनमें एक नमस्कार आचार्यों को नमन किया गया है। दोनों तरफ से गिनती करने पर तीसरे नंबर पर आचार्यों की उपस्थिति है।

दीक्षा लेकर साधु हो जाना या मुनि हो जाना बहुत आसान है किंतु समस्त शास्त्रों के ज्ञान के बाद व्यक्ति उपाध्याय हो जाता है और कठोर तप करते हुए वह आचार्य पद ग्रहण करता है। ऐसे ही आचार्य हैं आचार् यश्री विद्यासागर। आचार्य जी ने अनुशासन और तप से अपने मन और तन को कुंदन बना रखा है। उनके चेहरे पर तेज झलकता है।

आचार् यश्री विद्यासागर महाराज का जन्म कर्नाटक के बेलगाम (बेलगाँव) के ग्राम सदलगा के पास चिक्कोड़ी ग्राम में अश्विन शुक्ल पूर्णिमा (शरद पूर्णिमा) के दिन दिगम्बर जैन परिवार में हुआ था। पिता का नाम मल्लपा जी अष्टगे तथा माता श्रीमती जी जो दोनों ही बाद में मुनि और आर्यिका हो गए थे। आचार्य जी के चार भाई और दो बहिन है।

ND
मुनि दीक्षा : सन 1967 को आचार्य देशभूषण जी से ब्रह्मचर्य व्रत धारण किया। महाकवि आचार्य ज्ञानसागर जी महाराज से आषाढ़ शुक्ल पंचमी 30 जून, 1968 रविवार को अजमेर में उन्होंने दिगंबर पद्धति से मुनि दीक्षा ली।

दिगम्बर जैन संतों में सबसे ऊँचा स्थान आचार्यों का है उन्होंने नसिराबाद में आचार्य ज्ञान सागर द्वारा 22 नवम्बर 1972 को आचार्य का पद ग्रहण किया।

लेखन कार्य : कन्नड़, हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, प्राकृत और बांग्ला भाषा के जानकार विद्यासगर जी ने उक्त भाषा में कई शोधकार्य किए तथा अनेकों लेख लिखे हैं। उनका महाकाव्य 'मूकमाटी' सर्वाधिक चर्चित रहा है।

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

बृहस्पति वर्ष 2025 में अतिचारी होकर 3 बार करेंगे गोचर, वर्ष 2026 में मचाएंगे तबाही, भारत का क्या होगा?

पाकिस्तान में यहां शिव जी के आंसू से बना था अमृत कुंड, जानिए कटासराज शिव मंदिर का अद्भुत इतिहास

नौतपा 2025 : नवतपा के दौरान क्या करें और क्या न करें: जानें काम की बाते

क्यों चर्चा में है पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हिन्दुओं का पवित्र शक्तिपीठ हिंगलाज माता मंदिर, जानिए पौराणिक महत्त्व

भविष्‍य मालिका की 6 भविष्‍यवाणियां हुईं सच, जगन्नाथ मंदिर को केंद्र में रखकर की गई हैं भविष्‍यवाणियां

सभी देखें

धर्म संसार

तेलुगु हनुमान जयंती कब है, क्यों मनाई जाती है, जानें इसके बारे में सबकुछ

2025 में कब मनाई जाएगी अपरा एकादशी, जानें पूजन के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

अचला एकादशी व्रत से मिलते हैं ये 8 अद्भुत लाभ

बुध का वृषभ राशि में गोचर, 4 राशियों को होगा फायदा

शनि जयंती पर शनिदेव को लगाएं ये भोग, जानें कौन से और कैसे चढ़ाएं नैवेद्य