सत्यसाँई बाबा की संस्कार शिक्षा

- वंदना भल्ला

Webdunia
ND

बच्चों में पाँचों मानवीय मूल्यों सत्य, प्रेम, धर्म, अहिंसा और शांति का विकास होता है। सत्यसाँई बाबा कहते हैं कि ज्ञान की पूर्णता श्रेष्ठतम बन जाने में है। अतः साँई शिक्षा श्रेष्ठ मानव बनाने की प्रक्रिया है। शिक्षा का अंतिम लक्ष्य सुंदर चरित्र है। जब संस्कृति अपनी अस्मिता का केवल राजनीतिक मूल्यांकन कर पा रही हो, तो मूल्यों और संस्कारों से युक्त शिक्षा व उसके प्रचार और प्रसार का महत्व बढ़ जाता है।

आज की शिक्षा मनुष्य को विद्वान एवं कुशल डॉक्टर, इंजीनियर या अफसर तो बना देती है परंतु वह अच्छा चरित्रवान इंसान बने यह उसमें होने वाले संस्कारों पर निर्भर करता है। सत्यसाँई बाबा ने अपने मार्गदर्शन में 1969 से श्री सत्यसाँई बाल विकास कार्यक्रम का प्रारंभ किया। आज यह कार्यक्रम अपने सरल बहुआयामी एवं विस्तृत दृष्टिकोण के कारण संपूर्ण विश्व में फैल चुका है।

ND
यह कार्यक्रम मनुष्य के व्यक्तित्व के सभी पहलुओं का पूर्ण और संतुलित विकास करता है। इसके अंतर्गत बच्चों का भावनात्मक और आध्यात्मिक विकास ही होता है। यह पाठ्यक्रम चार से 14 वर्ष तक बच्चों को तीन समूहों में दिया जाता है।

एक पक्षी को ऊँची उड़ान भरने के लिए दो सशक्त पंखों की आवश्यकता होती है उसी प्रकार मनुष्य को भी जीवन के उच्च लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दोनों प्रकार की शिक्षा की आवश्यकता होती है। सांसारिक शिक्षा उसे जीविका देती है और आध्यात्मिक शिक्षा उसके जीवन को मूल्यवान बनाती है।

बाल विकास कक्षा में प्रार्थना, कहानी, कथन, मौन बैठक, समूह गान और समूह गतिविधि के द्वारा सत्यसाँई बाल विकास बच्चे का संतुलित एवं संपूर्ण विकास कर उसे आधुनिक युग की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाता है। सत्यसाँई बाबा के 85वें जन्मदिन पर कामना है देश का हर बच्चा संस्कारों की पूँजी से ओतप्रोत हो।

Show comments

क्या कर्मों का फल इसी जन्म में मिलता है या अगले जन्म में?

वैशाख अमावस्या का पौराणिक महत्व क्या है?

शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि में होंगे वक्री, इन राशियों की चमक जाएगी किस्मत

Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया से शुरू होंगे इन 4 राशियों के शुभ दिन, चमक जाएगा भाग्य

Lok Sabha Elections 2024: चुनाव में वोट देकर सुधारें अपने ग्रह नक्षत्रों को, जानें मतदान देने का तरीका

धरती पर कब आएगा सौर तूफान, हो सकते हैं 10 बड़े भयानक नुकसान

घर के पूजा घर में सुबह और शाम को कितने बजे तक दीया जलाना चाहिए?

Astrology : एक पर एक पैर चढ़ा कर बैठना चाहिए या नहीं?

100 साल के बाद शश और गजकेसरी योग, 3 राशियों के लिए राजयोग की शुरुआत

Varuthini ekadashi 2024: वरुथिनी व्रत का क्या होता है अर्थ और क्या है महत्व