श्रावण में शिव-राम पूजा का महत्व

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भारतीय शिव शक्ति यज्ञ प्रचारिणी परिषद् द्वारा वजीराबाद यमुनातट रामघाट में 108 अखण्ड रामचरित मानस मास पारायण चल रहा है। श्रावण मास में रामचरित मानस पाठ का महत्व बताते हुए पं. गिरिराज शरण जी महाराज ने कहा कि शिव भगवान राम के इष्ट एवं राम शिव के इष्ट हैं। ऐसा संयोग इतिहास में नहीं मिलता कि उपास्य और उपासक में परस्पर इष्ट भाव हो इसी स्थिति को संतजन 'परस्पर देवोभव' का नाम देते हैं।

उन्होंने कहा 'ॐ नमः शिवाय' एवं 'श्रीराम जय राम जय जय राम' का उच्चारण कर शिव को जल चढ़ाने से भगवान शिव अत्यन्त प्रसन्न होते हैं। भगवान राम ने स्वयं कहा है 'शिव द्रोही मम दास कहावा सो नर मोहि सपनेहु नहि पावा।'

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अर्थात्‌ जो शिव का द्रोह कर के मुझे प्राप्त करना चाहता है वह सपने में भी मुझे प्राप्त नहीं कर सकता। इसीलिए श्रावण मास में शिव आराधना के साथ श्रीरामचरितमानस पाठ का बहुत महत्व होता है।

श्री हनुमान साक्षात शंकर : आचार्य पं. रामगोपाल आत्रैय ने कहा श्री हनुमान जी ग्यारहवे रुद्र होने के कारण साक्षात्‌ शंकर ही है। इनकी उपासना करने से भगवान शंकर की अनन्य कृपा प्राप्त होती है।

उन्होंने कहा श्री हनुमान जी अपने दाहिने हाथ से संतों की सेवा तथा बाएँ हाथ से असुरों का संहार करते थे, इसका तात्पर्य यह है कि ईश्वर, संतों एवं समाज की सेवा करने वालों के लिए संसार के कष्टों एवं बाधाओं का सामना करना बाएँ हाथ का खेल होता है।

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