सत्संग जीवन का अमृत -आसाराम बापू

आसक्ति है बंधन का कारण

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संसार की आसक्ति बंधन का कारण है। राग से आसक्ति होती है। आसक्ति में दुख होता है। भगवान भगवत प्राप्त महापुरुषों के वचनों में प्रीति भगवत आश्रय मुक्ति का कारण बनता है। भगवान को प्रीतिपूर्वक भजने से बुद्घि भगवत योग हो जाता है। उक्त प्रेरक विचार संत आसाराम बापू ने सत्संग में व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि सुख-दुख आने-जाने वाले हैं, ऐसा ज्ञान दृढ़ करके बुद्घियोग का उपयोग अवश्य रूप से करना चाहिए। प्रभु में विश्वास रखो, कार्य को विवेकपूर्ण ढंग से करो।

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आपके शुभ कर्म का फल है कि आपको सत्संग मिल रहा है। सत्संग जीवन का अमृत है। सत्संग के बिना जीवन नीरस हो जाता है। शरीर आज है, कल नहीं रहेगा, परन्तु आत्मा अमर है शाश्वत है।

संतश्री ने कहा कि जीवन में श्रद्घा और संयम बहुत जरूरी है। अस्मिता, अविद्या, राग-द्वेष से जीवन का नाश होता है। प्रत्येक व्यक्ति की दिनचर्या व्यवस्थित होना चाहिए। जीवन में श्रद्घा, बुद्घियोग बहुत जरूरी है। श्रद्घाहीन व्यक्ति समाज के लिए कलंक है।

संयम से जीवन जीना चाहिए। धन सत्ता व सौंदर्य बड़ा नहीं है, भगवत नाम बड़ा है और भगवान में प्रीति होना बड़ी बात है।
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