तरुण सागर जी के कड़वे प्रवचन

क्रांतिकारी राष्ट्रसंत मुनिश्री तरूणसागरजी के कड़वे प्रवचन

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* तुम्हारी वजह से जीते जी किसी की आंखों में आंसू आए तो यह सबसे बड़ा पाप है। लोग मरने के बाद तुम्हारे लिए रोए, यह सबसे बड़ा पुण्य है। इसीलिए जिंदगी में ऐसे काम करो कि, मरने के बाद तुम्हारी आत्मा की शांति के लिए किसी और को प्रार्थना नहीं करनी पड़े। क्योंकि दूसरों के द्वारा की गई प्रार्थना किसी काम की नहीं है।


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* गुलाब कांटों में भी मुस्कुराता है। तुम भी प्रतिकूलता में मुस्कुराओ, तो लोग तुमसे गुलाब की तरह प्रेम करेंगे। याद रखना कि जिंदा आदमी ही मुस्कुराएगा, मुर्दा कभी नहीं मुस्कुराता और कुत्ता चाहे तो भी मुस्कुरा नहीं सकता, हंसना तो सिर्फ मनुष्य के भाग्य में ही है। इसीलिए जीवन में सुख आए तो हंस लेना, लेकिन दुख आए तो हंसी में उड़ा देना।

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* एक आदमी ने ईश्वर से पूछा- आपके प्रेम और मानवीय प्रेम में क्या अंतर है? ईश्वर ने कहा- आसमान में उड़ता पंछी मेरा प्रेम है और पिंजरे में कैद पंछी मानवीय प्रेम है। प्रेम में अद्भुत शक्ति है। किसी को जीतना है तो आप उसे तलवार से नहीं, प्यार से ही जीत सकते हैं। तलवार से उसे आप हरा सकते हैं, पर उससे जीत नहीं सकते हैं।

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* जब भी जिंदगी में संकट आता है, तो सहनशक्ति पैदा करो। जो सहता है वही रहता है। जीवन परिवर्तन के लिए सुनने की आदत डालो। सुनना भी एक साधना है। चिंतन बदलो तो सबकुछ बदल जाएगा। इससे रंग नहीं, तो कम से कम जीने का ढंग तो बदल ही सकता है।

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* परिवार के किसी सदस्य को तुम नहीं बदल सकते। तुम अपने आपको बदल सकते हो, यह तुम्हारा जन्मसिद्घ अधिकार भी है। पूरी दुनिया को चमड़े से ढंकना तुम्हारे बस की बात नहीं है। अपने पैरों में जूते पहन लो और निकल पड़ों फिर पूरी दुनिया तुम्हारे लिए चमड़े से ढंकी जैसी ही होगी। मंदिर और सत्संग से घर आओ, तो तुम्हारी पत्नी को लगना चाहिए कि बदले-बदले मेरे सरकार नजर आते हैं।

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