सद्‍गुरु के विचार!

- सद्‍गुरु, ईशा फाउंडेशन

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* हम आशावादी भ्रम में जीते हैं, निराशावादी भ्रम में मायूस हो जाते हैं। दोनों ही कहीं नहीं पहुंचते। आपको यथार्थवादी होना होगा, आप हर चीज को उस तरह से देखने को इच्छुक हैं जैसा वह वाकई में है।

* जब आप खुश और शांत होते हैं, तभी आपका शरीर और मन उत्तम ढंग से काम करते हैं और पूर्ण रूप से प्रकट होते हैं।

* अगर आप अपने इर्द-गिर्द के जीवन की परवाह किए बिना इस दुनिया में काम करते हैं, तो यह एक अपराधी होने जैसा है।

* आनंदपूर्वक जिना, यही वह उत्तम चीज है जो आप इस दुनिया के लिए कर सकते हैं। इस दुनिया को जो आप सबसे बड़ी भेंट कर सकते हैं, वह है स्वयं को आनंदपूर्ण बनाए रखना।

* अच्छी और बुरी आदतें जैसी कोई चीज नहीं होती। आदत का अर्थ ही है कि आप जीवन को बिना जागरूकता के जी रहे हैं।

* बुराई जैसी कोई चीज नहीं होती। ज्ञान है, अज्ञान है- बस इतना ही। बुराई सिर्फ अज्ञान का नतीजा हैं।

* सांसारिक व्यक्ति स्वयं के प्रति दयावान मगर दूसरों के प्रति निष्ठुर होता हैं। आध्यात्मिक व्यक्ति स्वयं के प्रति निष्ठुर मगर दूसरों के प्रति दयावान होता हैं।

* करुणा सबसे कम उलझाने वाली और सबसे अधिक मुक्त करने वाली एक ऐसी भावना है जो आप अपने अंदर पाल सकते हैं।

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