भारत की अखंडता के महत्व को बताते हुए वीर सावरकरजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि यदि मुसलमान पाकिस्तान के लिए कृतनिश्चय हो तो हिन्दू को कमर कसना होगी। उन्हें संगठित होना होगा। यदि देश खंडित होता है तो स्वतंत्रता किस काम क ी? देश की अखंडता के लिए संघर्ष करना हमारा दायित्व ह ै, इसलिए संधि-समझौतों को अस्वीकार कर द ो, संगठित हो जाओ और उचित समय की प्रतीक्षा में रहो।
इसी उद्देश्य से वीरजी ने अपने भाषण के समापन अंश में हिन्दुओं को एक व्यावहारिक कार्यक्रम दिय ा, हिन्दुओं का सैनिकीकर ण, युद्ध सामग्री और अस्त्र-शस्त्र निर्माण के कारखाने बढ़ान ा, सभी स्तरों की प्रतिनिधि संस्थाओं पर अधिकार करन ा, भ्रामक लुभावने नारों से भ्रमित न होकर सक्षमता के साथ आंदोलन में जुटन ा, जहाँ भी हिन्दुओं के नागरिक अधिकारों का दमन ह ो, वहाँ संघर्ष करन ा, हिन्दू संगठन शक्ति को बढ़ाने के लिए हिन्दू महासभा को सशक्त बनान ा, अछूतोद्धार के आंदोलन को चलाना आदि।
भारत की अखंडता के महत्व को बताते हुए वीर सावरकरजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि यदि मुसलमान पाकिस्तान के लिए कृतनिश्चय हो तो हिन्दू को कमर कसना होगी। उन्हें संगठित होना होगा। यदि देश खंडित होता है तो स्वतंत्रता किस काम की?
युद्धकालीन दिनों के लिए इस प्रकार का कार्यक्रम देते हुए वीरजी ने यह संकेत भी दिया कि जब इस विश्वयुद्ध का समापन होग ा, तब कुछ आश्चर्यमयी परिवर्तन सामने आएँग े, ऐसे क्रांतिकाल के लिए हिन्दू महासभा को पूर्ण रूप से तैयार रहना चाहिए।
समय हिन्दू जाति के पुनरुत्थान का ह ै, हम अवश्य ही विजयी होंगे। अतः भीरुता से दूर रहक र, भ्रांत राष्ट्रीयता से मोहित न होते हुए अपने जन्मसिद्ध अधिकारों की रक्षाहित सचेष्ट हो जाओ।