नए सत्र में बच्चों के लिए विशेष व्यवस्थाएँ - किताबी ज्ञान के साथ पढ़ाए जाएँगे कई प्रायोगिक पाठ

Webdunia
मंगलवार, 7 जून 2011 (21:16 IST)
आने वाला शिक्षा सत्र स्कूली बच्चों को किताबों के साथ ही खुशहाल जीवन जीने का पाठ भी पढ़ाएगा। नए सत्र के लिए लगभग सभी स्कूलों में बच्चों के लिए कुछ खास योजनाएँ बनाई जा रही हैं। कहीं पढ़ाई के साथ संस्कृति पर जोर दिया जाएगा तो कहीं अनुशासन और समाज हित में काम करने का संदेश मिलेगा। कहीं नाटक और नृत्य सफलता की प्रेरणा देंगे तो कहीं पर्यावरण को सहेजकर धरती को बचाने की सीख दी जाएगी।
एक अच्छा इंसान बनाने की कोशिश
स्कूलों से जुड़े विशेषज्ञों और प्राचार्यों का कहना है कि वर्तमान में बच्चों में नैतिक गुणों का विकास और जिम्मेदारियों का अहसास बेहद जरूरी है। इस लिहाज से अधिकतर शिक्षण संस्थानों में इस ओर ध्यान दिया जा रहा है। स्कूल संचालकों की राय में बच्चे सफल बनने के साथ ही अच्छे इंसान भी बनें तभी सफलता पूर्ण मानी जाती है। कई जगहों पर यह प्रयास भी किया जा रहा है कि स्कूली बच्चे बाहर जाकर अन्य बच्चों को सफलता की राह दिखाएँ।
प्रायोगिक ज्ञान सबसे महत्वपूर्ण
शिक्षा चाहे किसी भी क्षेत्र की हो, किताबी ज्ञान के साथ प्रायोगिक ज्ञान भी बेहद महत्वपूर्ण है। इसलिए विद्यासागर स्कूल में प्रेक्टीकल लैब बनाकर हर विषय के प्रयोग कराए जाएँगे। ताकि बच्चे खुद प्रयोग करें और ज्यादा से ज्यादा सीख हासिल कर सकें। संस्थान के प्रशासकीय अधिकारी सुनील पंड्या ने बताया कि आने वाले सत्र में हर विषय प्रेक्टीकल के साथ पढ़ाया जाएगा। प्रायोगिक ज्ञान के लिए सांस्कृतिक और खेल गतिविधियों का सहारा भी लिया जाएगा। इंडस्ट्रीयल विजिट की संख्या बढ़ाई जाएगी ताकि विद्यार्थी वर्तमान बाजार की जरूरतों को समझ सकें।
प्रकृति प्रेम से बचेगा पर्यावरण
इल्वा हासे. स्कूल के प्राचार्य संजय मिश्रा ने बताया कि सफलता के प्रयासों के साथ पर्यावरण को सहेजना भी हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। आने वाले सत्र में संस्थान की सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों में प्रकृति प्रेम जगाया जाएगा, ताकि वे दूसरों को भी पर्यावरण को शुद्ध बनाने के लिए प्रेरित कर सकें। इसके लिए विज्ञान प्रदर्शनी और विशेषज्ञों के व्याख्यान के आयोजन के साथ ही वर्षभर में चार बार प्राकृतिक स्थानों पर भ्रमण के लिए ले जाया जाएगा। बच्चों और शिक्षकों के समूह बनाकर उनसे पौधारोपण करवाया जाएगा और उन्हीं को पौधों की देखरेख की जिम्मेदारी भी दी जाएगी।
अनुशासन से सुधरेंगी पीढ़ियाँ
सराफा स्कूल के प्राचार्य आलोक दवे ने बताया अगर एक बच्चा अनुशासित होता है तो पीढ़ियाँ सुधर जाती हैं। इसीलिए संस्थान में इस बार विद्यार्थियों, पालकों और शिक्षकों के बीच की दूरी को कम कर अनुशासनात्मक जीवन जीने की प्रेरणा दी जाएगी। अनुशासन, समय प्रबंधन और अन्य कार्यों के लिए हर महीने अवॉर्ड दिए जाएँगे। संस्था के बच्चे बाहरी बच्चों को शिक्षा देने हेतु जाएँगे। इससे बाहरी बच्चों को भी शिक्षा मिलेगी और स्कूली बच्चों में नेतृत्व क्षमता का विकास भी होगा।
सुनहरे भविष्य के लिए व्यक्तित्व विकास
उत्कृष्ट विद्यालय बाल विनय मंदिर की प्राचार्य अनिता दुबे ने बताया कि स्वर्णिम भविष्य के लिए बच्चों का व्यक्तित्व विकास बेहद जरूरी है। इसके लिए संस्थान की करियर गाइडेंस लाईब्रेरी को पहले से और भी ज्यादा समृद्ध कर करियर मार्गदर्शन शिविर का आयोजन किया जाएगा। कक्षा 10वीं और 12वीं के विद्यार्थियों के लिए विशेषज्ञों को आमंत्रित किया जाएगा। ताकि बच्चे जरूरतों के मान से खुद को तैयार कर सकेंगे। शिक्षकों की विशेष कमेटी बनाकर माह में एक बार विशेष सत्र और शिविर का आयोजन किया जाएगा।

फोटोः नहीं है, कुछ बनवाया जा सकता है।
जे सारंग में चाइल्ड नाम से

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