ब्राजील में शकर-गन्नो का उत्पादन पूर्व अनुमान से कम होगा, गन्नो की कटाई भी कम माँग कम रहने से शकर में मंदी की धारणा व्यापार

Webdunia
मंगलवार, 7 जून 2011 (18:30 IST)
शकर में अपेक्षित ग्राहकी का अभाव बना हुआ है। व्यापारिक धारणा मंदी की बनती जा रही है। शीतलपेय वालों की माँग भी कम है। सस्ते शीतलपेय का प्रचलन बढ़ने लगा है। ज्यूस, लस्सी एवं आइस्क्रीम गरीब-मध्यम की क्रयशक्ति से बाहर हो गए हैं। तेजी नहीं होने से आम उपभोक्ताओं की माँग भी जरूरतपूर्ता ही रह गई है। महाराष्ट्र की शकर राजस्थान, पंजाब एवं हरियाणा तक जाने लगी है। नए सीजन में गन्नो का उत्पादन बम्पर होने से शकर-गुड़ का उत्पादन अधिक होगा। महाराष्ट्र में शकर का उत्पादन 90 लाख टन होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। ब्राजील में गन्नो-शकर का उत्पादन पूर्व अनुमान से कम होने की आशंका व्यक्त की जाने लगी है।
शकर में अपेक्षित माँग का अभाव बना हुआ है। व्यापारिक धारणा अभी कुछ और मंदी की है। गर्मी का सीजन होने के बाद भी शीतलपेय वालों की माँग जैसी चाहिए वैसी नहीं है। शीतलपेय महँगे हो जाने से खपत में कमी आई है। नारियल पानी, गन्नो का रस एवं नीबू पानी का प्रचलन बढ़ा है, क्योंकि ये आम मध्यम वर्ग की पहुँच में बताए जा रहे हैं। ज्यूस एवं लस्सी के भाव काफी अधिक होने के बाद गरीब-मध्यम वर्ग से ये शीतलपेय क्रयशक्ति के बाहर हो चुके हैं। आइस्क्रीम भी काफी महँगी है। इसका सेवन उच्च वर्ग ही कर सकता है। ऐसे में गर्मी के दिनों में शकर की खपत जिस मात्रा में होना चाहिए वह नहीं हो रही है। शकर की खपत मनोवृत्ति पर अधिक चलती है। तेजी में आम उपभोक्ता घर में 5 किलो के स्थान पर 10 किलो का स्टॉक करने लगते हैं, जबकि मंदी में केवल प्रतिमाह जितनी खपत होती है, उतनी ही खरीदी जाती है, जिससे हजारों टन शकर जो आम उपभोक्ताओं के घरों में स्टॉक के रूप में चली जाती है, वह मिलों के गोदामों की शोभा बढ़ा रही है। संभवतः इसी वजह से मिलें परेशान भी हैं। इस बार मिलें मंदी के चक्रव्यूह में फँस गई हैं। उससे निकलने का रास्ता नहीं सूझ रहा है और न निकालने वाला हमदर्द नेता। शकर वायदे कीहालत भी खराब है। वायदे में जोश भी आने वाला नहीं है, क्योंकि शकर के स्टॉक पर नियंत्रण आदेश लगा हुआ है।
केंद्र सरकार ने शकर निर्यात की छूट दी है, उसमें से अभी तक 1.75 लाख टन का निर्यात ही संभव हो सका है। विदेशों में पैरेटी नहीं बैठने से मिलें कम मात्रा में रुचि ले रही हैं। निर्यात में महाराष्ट्र-कर्नाटक की मिलें अव्वल हैं। अन्य राज्यों की मिलों को निर्यात कोटा मिला है, वह लेप्स हो सकता है। निर्यात के साथ इतनी अधिक शर्तें लाद रखी हैं कि अनेक मिलें निर्यात से दूर रहना ही पसंद कर रही हैं। मानसून समय से पहले आ गया है। बोवनी गत वर्ष से काफी अधिक हुई है। अतः गन्नो की अगली फसल बम्पर उतरेगी। ऐसे में शकर एवं गुड़ का उत्पादन अधिक होने की संभावना व्यक्त की जा रही है, जिससे अगले वर्ष भी शकर भावों में तेजी के संयोग कम ही लगते हैं। आने वाले महीनों में निर्यात माँग भी ठंडी रहेगी। महाराष्ट्र की मिलों में पंजाब-हरियाणा तरफ पड़तल लगने से माँग निकली है, जिससे टेंडर में माल बिकने लगा है। मंदी भी कुछ थम गई है। मप्र में लग्नसरा की माँग ठंडी पड़ गई है। मानसून की खबर से मिल वालों में भय पैदा हो गया है। अब माल बेचने भी लगे हैं।

Show comments

जरूर पढ़ें

अमेरिका ने बंकर बस्टर बम से तबाह की न्यूक्लियर साइट्स, ट्रंप ने कहा ईरान में शांति होगी या त्रासदी

ईरान-इजराइल युद्ध का भारत के व्यापार पर क्‍या होगा असर, विशेषज्ञों ने जताई यह राय

अमेरिका का B2 स्टिल्थ बॉम्बर से 3 ईरानी न्यूक्लियर साइट्स पर हमला, जानिए कितना है खतरनाक?

राजा रघुवंशी मर्डर केस में सिलोम जेम्स गिरफ्तार, गायब किया था सोनम का बैग

ईरानी परमाणु केंद्रों पर अमेरिकी हमले के बाद बोले नेतन्याहू, शक्ति से ही शांति आती है

सभी देखें

नवीनतम

IndoGulf CropSciences का आईपीओ 26 जून को खुलेगा, 105 से 111 रुपए प्रति शेयर पर होगा लिस्टेड

पहलगाम आतंकी हमले के बाद असम में 97 राष्ट्र विरोधी गिरफ्तार, सीएम ने दी थी टांगें तोड़ने की धमकी

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में होगा रतलाम RISE 2025 कॉन्क्लेव का आयोजन

क्‍या है दुनिया का ट्रेड रूट hormuz strait, अगर ईरान ने लॉक कर दिया तो बंद हो जाएगा भारत और दुनिया का तेल

ईरान-इजराइल की जंग से क्या भारत में बढ़ेंगे पेट्रोल-डीजल के दाम?