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इंदौर के नंबर वन तमगे पर बट्टा लगा रहे ई रिक्‍शा, सड़कों का बिगाड़ दिया हुलिया, भोपाल ने लगाई लगाम, हम सो रहे

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, बुधवार, 30 जुलाई 2025 (13:03 IST)
सुप्रीम कोर्ट की सड़क सुरक्षा समिति के अध्यक्ष और रिटायर न्यायाधीश न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे ने मंगलवार को इंदौर में जिला सड़क सुरक्षा समिति की बैठक ली। उन्होंने सभी सरकारी कर्मचारियों-विद्यार्थियों के लिए हेलमेट अनिवार्य करने और समयबद्ध रणनीति तैयार करने के निर्देश दिए। उन्‍होंने इंदौर के बदहाल ट्रैफिक पर गहरी चिंता जाहिर की और प्रशासन को छह महीने में शहर का ट्रैफिक दुरस्‍त करने के लिए कहा। उन्‍होंने कहा कि वे छह महीने बाद फिर से आकर देखेंगे कि क्‍या सुधार किया गया।

इंदौर में सबसे ज्‍यादा ट्रैफिक ई रिक्‍शा खराब कर रहे हैं। लेकिन प्रशासन का इन पर कोई कंट्रोल नहीं है। भोपाल में इन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। लेकिन इंदौर में खतरनाक तरीके से स्‍कूली बच्‍चों को इनमें ढोहा जा रहा है। बता दें कि भोपाल से ज्यादा ई रिक्शा इंदौर में स्कूली बच्चों को ढो रहे है। कई बड़े स्कूलों में भी ई रिक्शा अटैच है। स्कूल प्रबंधन की भी इस पर निगरानी नहीं है।

ई रिक्‍शा वाले कर रहे विवाद : बता दें कि इंदौर में सबसे ज्‍यादा ट्रैफिक यहां चलने वाली ई रिक्‍शा खराब कर रही है। बारिश और उस पर बेलगाम और अपनी मनमर्जी की वजह से ई रिक्‍शा चालकों ने सड़कों की हालत बेहद बुरी कर दी है। आम लोगों का चलना दुश्‍वार हो गया है। ई रिक्‍शा चालक कहीं भी घुस जाते हैं और कहीं भी खड़े हो जाते हैं। आए दिन सडकों पर इन्‍हें लेकर विवाद हो रहे हैं।

खतरानक होता जा रहा ई रिक्‍शा संचालन : बता दें कि ई रिक्शा का ढांचा मजबूत नहीं है। उसके कई भाग खुले रहते है। दरवाजे भी ज्यादातर ई रिक्शा में नहीं लगे रहते है। हादसे के समय चोट लगने का खतरा ई रिक्शा में ज्यादा रहता है। ज्यादातर ई रिक्शाओं में घटिया बैटरी का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे ब्रिज व चढ़ाई वाले हिस्सों में ई रिक्शा बड़ी मुश्किल से आगे बढ़ पाते है। ऐसे में हादसों का खतरा बना रहा है। ई रिक्शा का सस्पेंशन कमजोर रहता है। खराब सड़क व स्पीड ब्रेकर में कमर में जर्क लगने का खतरा रहता है। इसके अलावा झटके से रिक्शा से बाहर गिरने का खतरा भी बना रहता है। शहर के ट्रैफिक में ये ई रिक्शा समस्या बन रहे है। सड़क पर कही भी खड़े होने से दूसरे वाहन उन्हें ओवरटेक करते है। इस कारण हादसे हो रहे है। इसके अलावा चौराहों के लेफ्ट टर्न पर भी आजकल ई रिक्शा खड़े नजर आते है,जबकि लेफ्ट टर्न बाए हाथ की तरफ के ट्रैफिक के लिए होता है।

भोपाल में ई रिक्‍शा पर प्रतिबंध : मध्‍यप्रदेश की राजधानी भोपाल में कलेक्‍टर ने ई रिक्‍शा पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। भोपाल में स्कूली बच्चों को लाने व घर छोड़ने में हो रहे ई रिक्शा के उपयोग अब नहीं हो सकेगा। लेकिन इंदौर में ई रिक्‍शा न सिर्फ स्‍कूली बच्‍चों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं, बल्‍कि इंदौर के ट्रैफिक को बदहाल करने में भी सबसे ज्‍यादा हाथ ई रिक्‍शा का ही है। बता दें कि इंदौर में कई स्‍कूल नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। दिल्ली पब्लिक स्कूल हादसे के बाद स्कूली बसों में ई गर्वनर लगाने, सीट बेल्ट लगाने, खिड़की को जाली से कवर करने जैसे नियमों को लेकर सख्ती बरती गई, हालांकि अब भी कई स्‍कूल वाहन ऐसे हैं,जो नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं, उस पर ई रिक्‍शा चालकों ने ट्रैफिक को और ज्‍यादा बदहाल कर दिया है।

मुनाफे ने बढाया इंदौर में ई रिक्‍शा का चलन : बता दें कि इंदौर के कई बड़े स्कूलों के पास अपना खुद का ट्रांसपोर्ट सिस्टम है। वे बच्‍चों को बसों से स्कूल और घरों से लाना और छोड़ने का काम करते हैं, लेकिन कई छोटे स्कूलों में परिवहन के लिए स्कूली रिक्शा, वैन व अन्य वाहन अटैच हैं। मुनाफे के चक्कर में कई चालकों ने ई रिक्शा खरीद रखे है और उसमें बच्चों को ढोया जाने लगा है। इंदौर में कई महिलाएं भी ई रिक्‍शा चलाने लगी हैं। हाल ही में इंदौर में संभागायुक्त दीपक सिंह ने ई रिक्शा का किराया निर्धारित करने का निर्णय लिया, लेकिन फिर भी मनमाना किराया इंदौर में वसूला जा रहा है।

नहीं हुआ सुझाव पर अमल : पिछले दिनों कोर्ट में ट्रैफिक को लेकर याचिका लगी थी। इनमें मेयर पुष्य मित्र भार्गव न्यायमित्र के रुप में मौजूद रहे। उन्होंने सुझाव दिया कि शहर में ई रिक्शा को लेकर पॉलिसी बनना चाहिए। उधर प्रशासन ने ई रिक्शा के पंजीयन पर रोक लगाने और उनके रूट तय करने की कवायद भी की थी, लेकिन वह लागू नहीं हो पाई।
रिपोर्ट : नवीन रांगियाल

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