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इंदौर में फर्जी रजिस्‍ट्री का काला खेल, 20 से ज्‍यादा दस्‍तावेजों में घोटाले की आशंका, जांच हुई तो सामने आएगा 100 करोड़ का फ्रॉड

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, शुक्रवार, 25 जुलाई 2025 (12:53 IST)
इंदौर के रजिस्‍ट्री कार्यालय में प्‍लाट और मकानों की हुई रजिस्‍ट्रियों को लेकर 100 करोड़ रुपए का फ्रॉड सामने आ सकता है। क्‍योंकि हाल ही में यहां करीब 20 से ज्‍यादा संपत्‍तियों की रजिस्‍ट्री में घोटाले की बात सामने आई है।
इस घोटाले की आशंका खुद इंदौर कलेक्‍टर ने जताई है। बता दें कि कलेक्टर आशीष सिंह ने 20 से ज्यादा दस्तावेजों में घोटाले की आशंका जताई है और एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। अगर जांच होती है तो इस मामले में 100 करोड़ रुपए से अधिक का फर्जीवाड़ा उजागर हो सकता है।

कई महीनों से आ रहीं थी शिकायतें : वरिष्ठ जिला पंजीयक डॉ. अमरेश नायडू ने बताया कि पंजीयन विभाग में आमजन के द्वारा करवाई गई रजिस्ट्रियों को रिकार्ड में सुरक्षित रखा जाता है, जिसमें आमजन की पूरी जीवनभर की कमाई लगी होती है। पंजीयन विभाग के मोती तबेला कलेक्टर कार्यालय स्थित रिकार्ड रूम के संबंध में कलेक्टर अशीष सिंह को विगत कई महीनों से रिकार्ड के संबंध में गंभीर शिकायतें मिल रही थीं। अभिलेखागार के संबंध में ना केवल रजिस्ट्रियों में हेर-फेर की शिकायतें लगातार मिल रही थी, बल्कि इस तरह की शिकायतें भी मिल रही थी कि, लेनदेन कर इस तरह की गंभीर अनियमितताएं की जा रही हैं। विगत दिनों इसी आरोप में रिकार्ड रूम में संलग्न मर्दन रावत को निलंबित भी किया जा चुका है। अब इसमें कई बड़े अधिकारियों और कर्मचारियों पर एफआईआर की संभावना बन रही है।

कब से और कैसे हो रहा ये फर्जीवाड़ा : जांच में यह सामने आया कि इसमें खाली पड़े प्लाटों को निशाना बनाया जाता है। एक व्यक्ति के मकान की फर्जी रजिस्ट्री तैयार करके उसके आधार पर वह मकान दूसरे के नाम पर कर दिया जाता है। अगर असल मकान मालिक किसी अन्य शहर में रहता है या फिर दूसरा मकान मालिक जब तक प्लाट पर कब्जा नहीं लेता तब तक फर्जीवाड़ा सामने नहीं आता है।

20 रजिस्ट्रियां निकल सकती हैं नकली: बता दें कि शिकायतों को ध्यान में रखते हुए कलेक्टर सिंह ने विगत दिनों पंजीयन विभाग के अधिकारियों की एक जांच समिति गठित की गई थी, जांच समिति ने प्राप्त शिकायतों एवं नकल के आवेदनों के आधार पर ऐसे लगभग 20 दस्तावेज संदिग्ध पाए हैं। उक्त दस्तावेजों में से कुछ दस्तावेजों के संबंध में पूर्व में भी एफआईआर की जा चुकी है, और अन्य दस्तावेज में भी गड़बड़ी पाई गई है। ऐसे दस्तावेज जिनमें की पूर्व से कोई एफआईआर पंजीबद्ध नहीं है, उनके संबंध में कलेक्टर आशीष सिंह द्वारा थाना पंढरीनाथ थाने में तीन दिन में एफआईआर कराने के लिए वरिष्ठ उप पंजीयक प्रदीप निगम को निर्देशित किया है। जांच समिति की रिपोर्ट भी वरिष्ठ उप पंजीयक प्रदीप निगम को कार्यवाही के लिए सौंप दी गई है। यह पहली बार होगा कि कलेक्टर के निर्देशानुसार एक साथ 20 दस्तावेजों के संबंध में एफआईआर कराई जाएगी।
Edited By: Navin Rangiyal

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