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7 महीने में 24 हजार लोगों को काटा, अब भी 30 हजार से ज्‍यादा कुत्‍तों की नहीं हुई नसबंदी, कहां सो रहा निगम प्रशासन

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, गुरुवार, 17 जुलाई 2025 (16:33 IST)
हाल ही में एक बच्‍ची पर कुत्‍तों ने अटैक किया। इसका वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। यह घटना हुई ही थी कि एक और बच्‍चे पर कुत्‍तों के झुंड ने अटैक कर दिया। यह दोनों घटनाएं पिछले दो दिनों में ही इंदौर में हुई हैं।

दरअसल, शहर में कुत्‍तों का आतंक लगातार बढता जा रहा है। आए दिन कुत्‍तों के काटने के मामले सामने आ रहे हैं। इसमें नगर निगम का कुत्‍तों की नसबंदी कार्यक्रम पूरा नहीं हो पाना एक वजह है। हालांकि इस पूरे मामले में निगम प्रशासन की सुस्‍ती भी एक बडी वजह है। फिलहाल कुत्‍तों की नसबंदी का कार्यक्रम रूका हुआ है। जानकारी है कि 30 हजार से ज्‍यादा कुत्‍तों की अब भी नसबंदी नहीं हो पाई है।

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 कुत्‍तों को नहीं मिल रहा भोजन : इसके साथ ही कई इलाकों में कुत्‍तों को खाने के लिए भोजन या वेस्‍ट नहीं मिल रहा है। डॉग के लिए एनजीओ संचालित करने वाले प्रियांशू जैन ने बताया कि कुत्‍ते भूखे मर रहे हैं, जिसकी वजह से कुत्‍ते हिंसक होते जा रहे हैं। बता दें कि चैन्‍नई में प्रशासन ने कुत्‍तों के खाने के लिए चिकन और चावल की व्‍यवस्‍था करने के आदेश जारी किए हैं, ताकि डॉग बाइट की घटनाओं को रोका जा सके। लेकिन चूंकि इंदौर जबसे देश का सबसे स्‍वच्‍छ शहर बना है, कुत्‍तों को खाने के लिए भोजन नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में वे हिंसक होकर आम लोगों पर हमले कर रहे हैं।

24 हजार लोगों को काटा : डॉक्‍टरों के मुताबिक पिछले 7 महीने में डॉग बाइट्स के 24 हजार मामले इंदौर में आए हैं। यह आंकडा 1 जनवरी से 13 जुलाई तक के बीच का है, इस दौरान करीब 24 हजार लोगों को आवारा कुत्तों ने काटा।

दो दिन में कई मामले : हाल ही में इंदौर के माणिक बाग और वेंकटेश नगर इलाकों में कुत्तों के काटने की घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें बच्चों को भी निशाना बनाया गया है। इन घटनाओं के सीसीटीवी फुटेज भी सामने आए हैं, जिससे नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। कुछ दिनों पहले शहर के श्रीनगर एक्सटेंशन में सुबह कॉलेज जा रही छात्रा पर चार कुत्तों ने हमला किया था, छात्रा गंभीर रूप जख्मी भी हुई थी। पूरी घटना का सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया है। लगातार सामने आ रहे ऐसे वीडियो नगर निगम की व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

इंदौर के सरकारी अस्पतालों में रोजाना डॉग बाइट के मामले आ रहे हैं। लोग इलाज करवाने लोग पहुंच रहे हैं। बातचीत में पीड़ितों ने बताया कि शहर में आवारा कुत्तों का आतंक इतना बढ़ गया है कि अब बच्चे या बूढ़े बाहर निकलने से पहले सोचते हैं। वहां मौजूद अस्पताल स्टाफ ने बताया कि पूरे शहर में डॉग बाइट के इलाज के लिए एक ही सरकारी अस्पताल है, जहां कई बार 600 मरीज भी पहुंचते हैं। एक अकेले अस्पताल होने से प्रबंधन में काफी दिक्कतें आती हैं, उनकी मांग है कि इंदौर के दूसरे अस्‍पतालों में भी इलाज की व्‍यवस्‍था हो।

क्‍यों नहीं जाग रहा नगर निगम : इंदौर की सड़कों पर स्ट्रीट डॉग का खौफ है। कई हजार कुत्‍तों की अब भी नसबंदी नहीं हो सकी है। शहर के कई इलाके डॉग बाइट के हॉट स्पॉट बन गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जनवरी 2025 से अब तक 26 हजार से ज्यादा डॉग बाइट के मामले देखने को मिले हैं। कुछ महीने पहले डॉग बाइट के बढ़ते मामलों को देखते हुए महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने स्मार्ट सिटी कार्यालय में बैठक की थी। महापौर ने कहा था कि यह समस्या केवल इंदौर की नहीं, देश के कई शहरों की है। सुप्रीम कोर्ट में इस विषय पर पहले से कई याचिकाएं लंबित हैं। वहीं अधिकारियों ने बताया कि अब तक अधिकांश कुत्तों की नसबंदी हो चुकी है। करीब 30 हजार कुत्तों की नसबंदी अभी बाकी है।

क्‍या कहते हैं डॉक्‍टर : डॉ प्रशांत तिवारी ने वेबदुनिया को बताया कि कुत्‍ते बेहद समझदार जीव हैं। कभी आगे से हिंसक होकर नहीं काटते हैं। यह सब निर्भर करता है कि हम उन्‍हें कैसे ट्रीट कर रहे हैं। डॉ तिवारी ने बताया कि यह बात सही है कि इन दिनों कुत्‍तों की संख्‍या बढ़ गई है। लेकिन जहां तक काटने की बात है तो यह कुत्‍तों में चिड़चिड़ेपन की वजह से हो रहा है। अब सवाल उठता है कि कुत्‍ते क्‍यों हिंसक और चिड़चिड़े हो रहे हैं। डॉ तिवारी ने बताया कि इन वजह से कुत्‍ते हिंसक हो सकते हैं।

क्‍या कहते हैं पशु प्रेमी : पीपल फॉर एनिमल संस्‍था के तहत कुत्‍तों के लिए शेल्‍टर होम संचालित करने वाली प्रियांशु जैन ने वेबदुनिया को बताया कि कुत्‍तों के हिंसक होने के पीछे वजह है कि सफाई की वजह से उन्‍हें खाना नहीं मिल रहा है। इसके साथ ही कुत्‍ते अपने छोटे बच्‍चों के को लेकर भी असुरक्षित हैं। लोग कुत्‍तों और छोटे बच्‍चों के साथ भी मारपीट करते हैं। इस वजह से उनमें असुरक्षा की भावना बढ़ गई है। दूसरा इंदौर और भोपाल में ठीक से कुत्‍तों की नसबंदी नहीं हो रही है, जिससे इनकी तादात लगातार बढ़ रही है।
रिपोर्ट : नवीन रांगियाल

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