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डिप्रेशन, एंग्जायटी, निराशा और सुसाइडल प्रवृत्ति के शिकार हो रहे इंदौरी, 6 महीने में 55 प्रतिशत पुरुषों ने मांगी मदद

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नवीन रांगियाल

देश का सबसे तेजी से बढ़ता शहर इंदौर। एक तरफ यह शहर अत्‍याधुनिक और लगातार कार्पोरेट होता जा है तो वहीं, अंदर ही अंदर लोगों को खाए भी जा रहा है। लगातार बढ़ती आत्‍महत्‍याएं, अकेलापन, डिप्रेशन और उदासी यहां के लोगों की नई तकलीफ है। चिंता वाली बात यह है कि बदलाव पुरुषों के साथ हो रहा है। डॉक्‍टर इन तकलीफों को घातक मान रहे हैं। उनका कहना है कि नौकरी और जिंदगी की बढ़ती भागदौड़ के बीच खुद के लिए अपनी प्राथमिकताएं भी तय करना होगी।
  • पिछले ढाई साल में 1 लाख 17 हजार लोगों ने काउंसलिंग के लिए किया कॉल
  • कॉल करने वालों में 18 से 45 आयु वर्ग के सबसे ज्‍यादा लोग
  • इंदौर के पुरुषों में तेजी से बढ़ रहे डिप्रेशन एंजायटी, निराशा और आत्महत्या के मामले
दरअसल, इंदौर में आए दिन होती आत्‍महत्‍याओं, अकेलेपन और डिप्रेशन का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। यह खुलासा तब हुआ जब इंदौर के 55 प्रतिशत से ज्‍यादा पुरुषों ने काउंसलिंग के लिए कॉल किया। इस तरह की काउंसलिंग का ग्राफ भी बढ़ता जा रहा है। दूसरी तरफ महिलाएं ऐसे मामलों में मजबूत बताई जा रही हैं।
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कैसे हुआ खुलासा : बता दें कि मानसिक तनाव के चलते हो रही आत्महत्या को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने 2022 में टेली मानस (नंबर 14416) की शुरुआत की थी, जिसके लिए मध्यप्रदेश में इंदौर-भोपाल में सेंटर खोले गए। इस सेंटर की मदद से जानकारी सामने आई कि इंदौर सेंटर में ढाई साल में 1 लाख 17 हजार 134 कॉल किए गए। यानी इतने लोगों ने अपनी काउंसलिंग को लेकर कॉल किए। उन्‍होंने डिप्रेशन, अकेलेपन और दुखी होने की बात कही।

सबसे ज्‍यादा इस एजग्रूप के लोग : सबसे ज्‍यादा चौंकाने वाली बात जो सामने आई वो यह थी कि कॉल करने वालों में 18 से 45 आयु वर्ग के सबसे ज्‍यादा लोग थे। यानी इस तरह की तकलीफों से जूझने वालों में नौजवान लोग ज्‍यादा है। इनमें जो समस्याएं दिखीं वो डिप्रेशन, टेंशन, रिलेशनशिप, एग्जाम से संबंधित ज्यादा नजर आईं।
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55 प्रतिशत पुरुषों ने करवाई काउंसलिंग: टेली मानस इंदौर सेंटर की मदद से इंदौर के 55 प्रतिशत पुरुषों को अपनी काउंसलिंग की जरूरत पड़ रही हैं। इन पुरुषों पर काम का प्रेशर, तनाव और अकेलेपन हावी था। दिलचस्‍प बात है कि काम का प्रेशर और स्ट्रेस सहने में महिलाएं मजबूत नजर आ रही हैं।

तकलीफें कैसी कैसी : जो तकलीफें सामने आई हैं उनमें काम का प्रेशर, परिवार की जिम्मेदारी, निराशा, डिप्रेशन और ऑफिस के तनाव को सहने जैसी बीमारियां सामने आई हैं। जबकि महिलाएं इन तकलीफों हालांकि महिलाएं बाजी मार रही हैं, यानी महिलाएं इन्‍हें अपने ऊपर हावी नहीं होने दे रही हैं। जबकि आंकड़ों के मुताबिक 55 प्रतिशत पुरुषों में तेजी से डिप्रेशन, एंजायटी और निराशा की परेशानी बढ़ रही है।

क्‍या कहते हैं आंकड़ें : टेली मानस इंदौर से मिले आंकड़ों के मुताबिक 60 प्रतिशत निराशा और डिप्रेशन के मामले बढ़े हैं, जबकि 15 प्रतिशत लोगों को रिलेशनशिप में धोखा, स्ट्रेस और परीक्षा का डर सता रहा है, जिसके चलते उदास रहना, आत्महत्या जैसे ख्याल आना व कई अन्य तरह की शारीरिक परेशानियां घेर रही हैं। हकीकत यह है कि जो आंकड़े पूरे साल में जितने कॉल टेली मानस के पास नहीं पहुंचे उतने पिछले 6 महीनों में ही पहुंच गए हैं।
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6 महीने में दोगनी हुई : टेली मानस से दी गई जानकारी के मुताबिक 2023 में 37169 शिकायतें प्राप्त हुईं, जिनमें से 19172 शिकायतें इंदौर की दर्ज हुई हैं। इनमें पुरुषों की संख्या 63.9 प्रतिशत रही, वहीं महिलाओं द्वारा कॉल करने के मामले 36 प्रतिशत पहुंचे। 2024 के आंकड़ों के अनुसार कॉल करने वालों की संख्या 53507 थी, जिनमें से इंदौर के आंकड़े डेढ़ गुना बढ़ गए और मदद के लिए 27240 लोगों ने कॉल किया। इनमें भी 55 प्रतिशत पुरुष नजर आए। 2025 के शुरू के 6 महीने बीतने के बाद इन आंकड़ों पर नजर दौड़ाई गई तो 6 महीने में ही 14554 शिकायतें पहुंच चुकी हैं, जिनमें भी 55.9 प्रतिशत पुरुष परेशानियों का सामना कर रहे हैं।

क्‍या कहते हैं डॉक्‍टर : मनोचिकित्‍सक डॉक्‍टर अपूर्वा तिवारी ने बताया कि जैसे जैसे शहर बढ़ता जाएगा, कार्पोरेट कल्‍चर हावी होगा, वैसे वैसे काम का प्रेशर, तनाव और डिप्रेशन आदि मनोविकार बढ़ते जाएंगे। ऐसे में खुद को संतुलित रखना, योग, ध्‍यान और एक्‍सरसाइज की मदद लेना होगी। जनरल फिजिशियन डॉ प्रवीण दानी ने बताया कि मानसिक रूप से फिट रहने के लिए जिमिंग, पार्टीज, संगीत सुनना, किताबें पढना और ट्रेवल करना आदि बेहद जरूरी है। अपनी जिंदगी में काम के अलावा दूसरी गतिविधियों को भी प्राथमिकता से शामिल करना होगा, तभी इस तरह के मानसिक विकारों से बचने में मदद मिल सकेगी।

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