इंदौर। आमतौर पर भरण पोषण के मामले पत्नी द्वारा पति पर लगाए जाते हैं और फैसले के तहत पति को पत्नी को भरण पोषण के लिए एक निश्चित रकम का भुगतान करना होती है, लेकिन इंदौर में मामला बिल्कुल उलटे रूप में सामने आया। कुटुम्ब न्यायालय ने एक पारिवारिक विवाद में पत्नी को आदेश दिया है कि वह अपने पति को पांच हजार रुपये महीना भरण पोषण के रूप में अदा करे। पति ने दिसम्बर 2023 में यह कहते हुए अपनी पत्नी पर भरण पोषण का केस दर्ज किया था कि उसके पास भरण पोषण का कोई बंदोबस्त नहीं है जबकि उसकी पत्नी ब्यूटी पार्लर संचालिका है और अच्छा पैसा कमाती है।
पत्नी दे भरण पोषण
एडवोकेट मनीष झारोले ने बताया कि अमन और नंदिनी के बीच प्रेम था। दोनों ने करीब तीन साल पहले जुलाई 2021 में आर्य समाज में शादी की थी और शादी के बाद इंदौर में कमरा किराए से लेकर रह रहे थे। अमन का आरोप है कि नंदिनी ने उसे जबरन अपने साथ रखा था। एक दिन मौका पाकर अमन भाग गया और उसने एडवोकेट के माध्यम से कुटुम्ब न्यायालय में पत्नी के खिलाफ भरण-पोषण का केस दायर कर दिया। अमन की तरफ से वकील ने तर्क रखा कि चूँकि वह स्वयं का भरण पोषण करने में असमर्थ है और उसकी पत्नी पार्लर चलाती है।
ब्यूटी पार्लर संचालिका पत्नी की है अच्छी इनकम
अमन ने कोर्ट को बताया कि उसकी पत्नी स्नातक है और वह सिर्फ 12 तक पढ़ा है। एडवोकेट झारोले ने बताया कि अपनी बात के पक्ष में उन्होंने नंदिनी की तरफ से पुलिस को दिए गए बयान भी पेश किए। इनमें नंदिनी ने खुद को ब्यूटी पार्लर संचालिका बताया था।
कुटुम्ब न्यायालय ने अमन की तरफ से रखे गए तर्कों को मानते होते हुए पत्नी नंदिनी को प्रतिमाह पांच हजार रुपये अपने पति को भरण पोषण के लिए देने का आदेश दिया। इसके साथ ही पत्नी को पति की ओर से वाद व्यय पर हुए खर्चे का भुगतान भी करना होगा।
क्या कहता है कानून: धारा 24 के तहत, एक ” योग्य व्यक्ति ” जिसके पास अपने रहने और समर्थन के लिए पर्याप्त स्वतंत्र आय नहीं है और कार्यवाही के लिए आवश्यक खर्च नहीं है। वह अपनी पत्नी से भरण-पोषण का दावा कर सकता है यदि उसकी पत्नी ऐसा कर पाने में सक्षम हो। धारा 25 पति को स्थायी गुजारा भत्ता और भरण-पोषण की अनुमति देती है।