जिम्मी मगिलिगन सेंटर पर छात्रों ने सीखा स्वच्छ और स्वस्थ जीवन का मैनेजमेंट

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इंदौर जिले के ग्राम सनावदिया की एक छोटी पहाड़ी पर स्थित जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवेलपमेंट एक ऐसी जगह है जहां हवा अपने सबसे शुद्ध रूप में होती है, धूप जहां सबसे ज्यादा चमकती है और हरियाली जहां सबसे ज्यादा महकती है... जी हां, यह वही जगह है जहां पद्मश्री से सम्मानित डॉ. जनक पलटा 
रहती हैं और हर दिन इस सेंटर पर वे गांव और शहर से आए छात्रों और पर्यावरण प्रेमियों को स्वस्थ जीवनशैली जीने के तरीके बताती हैं और फायदे भी गिनाती हैं। 
 
पिछले दिनों सफायर नर्सिंग कॉलेज के 40 छात्रों के समूह ने जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवेलपमेंट में आकर स्वच्छ और स्वस्थ जीवन का प्रबंधन सीखा... 
 
 
केंद्र की डायरेक्टर डॉ. जनक पलटा मगिलिगन ने कहा कि अब इंदौर स्वच्छता मॉडल का हैं लेकिन स्वस्थ शहर का मॉडल बनाने के लिए आप नर्सिंग कॉलेज के छात्रों को आगे आना होगा।  मैं 37 साल से प्लास्टिक मुक्त जीवन जी रही हूं। 
 
इंदौर की स्वच्छता ब्रांड एंबेसेडर होने के नाते अपने साथ रीयूजेबल थैले में रीयूजेबल ग्लास और पानी की बोतल साथ रखती हूं।  पर्यावरण बचाना और सभी प्राणियों से सद्भावना से रहना हर इंसान का कर्तव्य है, कर्म है और सबसे बड़ा धर्म है। अपने जीवन के हर अवसर, हर पल जन्मदिन,त्योहार, पार्टीज, उत्सव या कार्यक्रम से पहले यह सोचना जरूरी है कि हमारा आयोजन कचरा मुक्त कैसे होगा। डॉ. जनक की इस बात ने सभी को प्रेरित व उत्साहित किया।  
 
उन्होंने आगे कहा कि हम इंसान दुनिया को सुंदर बनाने आए हैं। यहां  कचरा और प्रदूषण करने नहीं।  मैं ऊर्जावान और सक्रिय रहने का प्रयत्न कर रही हूं। ऊर्जा का उद्गम स्थल हमारी आत्मा है, जब ऊर्जा संरक्षण अपनी आध्यात्मिक जिम्मेदारी समझकर निभाई जाएगी तो पूरी सृष्टि का आध्यात्मिक, सामाजिक, मानसिक 
और पर्यावरण का विकास होगा। 
 
भारत का सदियों से विश्वास है कि “विश्व का कल्याण हो , प्राणियों में सद्भावना हो” इससे भटक हम स्वयं तथा पंच तत्वों के विनाश की राह पर चल पड़े हैं और आज प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों के शिकार हो रहे हैं। 
 
 डॉ. जनक ने छात्रों को अपना पर्यावरण-हितैषी आंगन दिखाया, अपनी बागवानी और सब्जी व औषधियों की क्यारियां बताई....गौ-केन्द्रित जैव-विविधता फार्म दिखाया। 
 
छात्र-छात्राएं जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवेलपमेंट देख अभिभूत हुए। 
 
डॉ. जनक ने अपने यहां ऊर्जा संरक्षण का प्रत्यक्ष उदाहरण दिया और बताया कि वे अपने गैस सिलेंडर को ढाई साल तक चला लेती हैं और सोलर कुकिंग, सोलर ऊर्जा उत्पादन, विंड एनर्जी उत्पादन आदि से वे ऊर्जा संरक्षण कर रही हैं व कई लोगों को प्रशिक्षित भी कर चुकी हैं। जनक दीदी ने कहा कि हम एक पेड़ के सभी फल और एक बगीचे के फूल हैं। प्राणियों में सदभावना व विश्व का कल्याण करने से ही हमें 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति होगी। 
 
डॉ. जनक पलटा 73 साल की उम्र में भी निस्वार्थ भाव से इतनी लगन, जोश व ख़ुशी से काम करती हैं कि उनके प्रशंसक कहते हैं वे स्वंय ऊर्जा का स्रोत हैं! 

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