भारत-तिब्बत सहयोग मंच के मालवा प्रांत की बैठक संपन्न

Webdunia
रविवार, 26 फ़रवरी 2023 (21:10 IST)
इंदौर। भारत-तिब्बत सहयोग मंच (बीटीएसएम) के मालवा प्रांत की योजना बैठक इंदौर में हुई। बैठक की अध्यक्षता बीटीएसएम मध्य क्षेत्र संयोजक और भाजपा से पूर्व विधायक गिरिराज किशोर पोद्दार ने की। इसका उद्देश्य मालवा प्रांत के पदाधिकारियों से आगामी एक साल, जो कि बीटीएसएम का रजत जयंती वर्ष भी है, में होने वाले आयजनों की तैयारी और विस्तार पर चर्चा करना था।

बैठक का समन्वय मालवा प्रांत संयोजक यशवर्धन सिंह ने किया। सिंह को मालवा प्रांत के सभी जिलों में संगठन विस्तार और संगठन को मजबूत करने का दायित्व हाल में दिल्ली में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी में दिया गया है। बैठक में बीटीएसएम की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य पन्नालाल बाफना और मध्य क्षेत्र सह संयोजक रवि द्विवेदी विशिष्ट वक्ता के रूप में शामिल रहे तथा संगठन के प्रारूप पर चर्चा की।

बैठक में नए दायित्व भी विभाजित किए गए। इसमें प्रांत में दो नए उपाध्यक्ष भी घोषित किए गए। विशाल गुप्ता और भूपेंद्र नीमा को नए उपाध्यक्ष के रूप में कार्य सौंपा गया है। संगठन की आगामी बैठक मार्च के आखरी सप्ताह में रखी जाएगी जिसमें प्रांत के बाकी दायित्व घोषित किए जाएंगे एवं समीक्षा बैठक भी रखी जाएगी।

रजत जयंती वर्ष में बीटीएसएम देशभर में करेगा बीटीएसएम के मध्य क्षेत्र प्रभारी और राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य देव शुक्ला ने वीडियो कॉन्फेंस के माध्यम से आज बैठक को संबोधित किया। उन्होंने बताया कि आगामी एक वर्ष में संगठन पूरे देशभर में जनजागरण के अनेकों आयोजन करेगा ताकि देश के जन-जन तक तिब्बत की आजादी, भारत को सुरक्षा की बात पहुंचे और चीनी ड्रैगन का बहिष्कार हो।

क्या है बीटीएसएम : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ समर्थित प्रकल्प भारत तिब्बत सहयोग मंच (बीटीएसएम) संघ के वरिष्ठ राष्ट्रीय प्रचारक डॉ. इंद्रेश कुमार जी द्वारा संचालित किया जाता है। इस प्रकल्प की शुरुआत 1989 में इंद्रेश जी द्वारा की गई थी। इस प्रकल्प का प्रमुख उद्देश्य कैलाश मानसरोवर तीर्थ स्थल को मुक्त करवाना, जिससे हजारों सालों से हिन्दुस्तानियों की आस्था जुड़ी हुई है।

संगठन का दूसरा प्रमुख उद्देश्य तिब्बत की आजादी है, जिससे देश की सीमाओं को चीन के खतरे से मुक्त किया जा सके। तिब्बत के शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए ये संगठन काफी बड़ी भूमिका निभाता है। ज्ञात हो कि सात दशक पहले चीन ने तिब्बत पर कब्ज़ा करके 12 लाख तिब्बतियों की निर्मम हत्या कर दी थी। तभी से हिन्दुस्तान और चीन की सीमाएं आमने सामने हुईं, वरना उससे पहले तक तिब्बत के कारण देश को चीन की तरफ से कोई खतरा नहीं था।

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