इंदौर। 14 फरवरी से 3 मार्च तक इंदौर का पितरेश्वर हनुमान धाम आस्था और विश्वास का सबसे बड़ा केंद्र बिंदु बन गया है। यहां पर अष्ठधातु की दुनिया की सबसे बड़ी हनुमानजी की मूर्ति की स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा 28 फरवरी को पूरे विधि विधान से सम्पन्न हुई। 3 मार्च की शाम को अतिरुद्र महायज्ञ में 24 लाख आहुतियां पूरी होने के बाद भगवान को भोग लगाया गया और इसके बाद 4 बजे से 10 लाख लोगों के नगर भोज की शुरुआत हो गई।
बड़े गणपति से 7 किलोमीटर दूर पितरेश्वर हनुमान धाम में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। रोजाना ही यहां हजारों की संख्या में लोग सबसे बड़ी हनुमानजी की प्रतिमा के दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं। रविवार को 1 लाख लोगों ने दर्शन किए और 40 हजार ने प्रसादी ग्रहण की।
हनुमानजी की 108 टन वजनी मूर्ति 72 फीट ऊंची और 72 फीट चौड़ी है। सोना, चांदी, तांबा, सीसा, जस्ता, टिन, लोहा और पारे से बनी अष्ठधातु की यह मूर्ति दुनिया की सबसे बड़ी है। हनुमानजी की गदा 21 टन वजनी और 45 फीट लंबी है। 2 साल तक हनुमानजी की मूर्ति के 264 भागों को जोड़ा गया है।
पितरेश्वर हनुमान धाम में हनुमानजी प्राण प्रतिष्ठा के पूर्व ऐतिहासिक कलश यात्रा निकली। इस विशाल कलश यात्रा ने विश्व रिकॉर्ड बनाया, जिसमें 1 लाख महिलाओं ने एक जैसी साड़ी और एक जैसे कलश लिए हुए थे।
10 लाख लोगों के लिए नगर भोज की विशाल पैमाने पर तैयारी की गई। इस तैयारी की कमान भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने अपने हाथों में ले रखी थी।
3 मार्च को वितरित होने वाली महाप्रसादी की तैयारियां एक रात पहले ही शुरू हो गई थी। यहां बड़े कड़ाव में नुक्ती तैयार की जा रही थी।
कैलाश विजयवर्गीय ने 2002 में प्रण लिया था कि जब तक हनुमानजी की मूर्ति की स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा नहीं हो जाती, वे अन्न ग्रहण नहीं करेंगे। प्राण प्रतिष्ठा के बाद वे खुद मूर्ति का आशीर्वाद लेने पहुंचे।
हनुमानजी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के बाद महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी ने भक्तों को पितरेश्वर हनुमान धाम में आशीर्वाद दिया।