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एमवाय अस्‍पताल की देहरी पर बच्‍चियों की मिट्टी लेकर बैठीं मांएं, चूहों ने कुतरी थी बेटियों की जिंदगी, अब चाहिए न्‍याय

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नवीन रांगियाल

, बुधवार, 24 सितम्बर 2025 (15:27 IST)
प्रदेश के सबसे बड़े एमवाय अस्‍पताल में जब चूहों के कुतरने से दो मासूम बच्‍चियों की जान जा रही थी तो उनके रोने और सिसकने की आवाज किसी सरकारी नुमाइंदे को सुनाई नहीं दी। इतने बड़े अस्‍पताल की दीवारों को जैसे सांप सूंघ गया था। प्रशासन जैसे बहरा हो गया और अधिकारियों ने आंखें मूंद लीं हो। अब आलम यह है कि एमवाय अस्‍पताल के प्रमुख द्वार पर दो मटकियां रखी हैं, इन मटकियों में उन दो बच्‍चियों के दफन के लिए इस्‍तेमाल की गई मिट्टी रखी है, जो चीख चीखकर यही कह रही है कि मरती हुई बच्‍चियों की सिसकियां नहीं सुनी तो कम से कम अब मिट्टी की आवाज ही सुन लो और न्‍याय दे दो। लेकिन विडबंना देखिए कि प्रदेश के उस सबसे बड़े अस्‍पताल के पास भी मृतक बच्‍चियों की मांओं के दर्द का कोई इलाज नहीं है जो अस्‍पताल की देहरी पर पिछले तीन दिनों से न्‍याय की आस में बैठी हुई हैं।

दरअसल, 31 अगस्त और 1 सितंबर की दरम्यानी रात एमवाय के आईसीयू में चूहों ने दो नवजात बच्चियों पर हमला किया, एक बच्‍ची के चार उंगलियां ही चूहे खा गए। जिसके बाद दोनों बच्‍चियों की मौत हो गई। इनमें से एक बच्ची आदिवासी समुदाय के परिवार की थी, जबकि दूसरी बच्ची अल्पसंख्यक वर्ग के परिवार से ताल्लुक रखती थी। अब इन दोनों बच्‍चियों की मांएं, परिजन और कई गांव के लोग एमवाय अस्‍पताल में न्‍याय की आस में डेरा जमाए बैठे हैं। लेकिन सिस्‍टम ने जिस तरह से अपनी आंखें और कान बंद कर रखे हैं, उससे लगता है जैसे उसे किसी की जान की कोई परवाह नहीं है।

डॉक्‍टरों तक नहीं पहुंच रही मां की पुकार : मां की पूजा- अर्चना का पर्व नवरात्र चल रहा है। ऐसे में दो मांएं एमवाय अस्‍पताल की सीढियों पर बैठकर प्रशासन से न्‍याय की मांग कर रही हैं, ताकि सिस्‍टम की लापरवाही की भेंट चढी उनकी बेटियों की आत्‍मा को शांति मिल सके। लेकिन जान बचाने वाले सैकडों डॉक्‍टरों के कानों तक भी इन मांओं की पुकार नहीं पहुंच पा रही है।

क्‍या कहा मां ने : धार वाली बच्‍ची की मां मंजू पति देवराम ने वेबदुनिया को बताया कि मेरी बेटी जन्म के समय बिल्कुल ठीक थी। तबीयत खराब नहीं होने पर उसे धार से इंदौर लाए थे। डॉक्टर ने कहा कि सर्जरी के बाद वह स्वस्थ हो जाएगी। हमें पता ही नहीं चला कि जिस एनआईसीयू में वह भर्ती है, वहां पर उसे चूहे काट रहे हैं। उसकी मृत्यु के बाद भी हमें सही जानकारी नहीं दी गई। जब बच्ची का शव मिला और उसकी अंगुलियां चूहों के द्वारा ने कुतर दी तो हमारे रोंगटे खड़े हो गए। मैं सोच सोचकर रोते रहती हूं कि उस मासूम ने कितना दर्द झेला और हमें पता भी नहीं चला।

मासूम बच्‍चियों की मिट्टी मांगे न्‍याय : एमवाय अस्‍पताल की लापरवाही की वजह से जान गंवाने वाली दोनों बच्‍चियों के परिवार, परिजन और आसपास के कई गांवों के लोगों ने एमवाय अस्‍पताल में धरना दिया है। बच्ची के माता और पिता के साथ विरोध कर रहे लोगों की मांग है कि एमवाएच के डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया और अधीक्षक डॉ. अशोक यादव को सस्पेंड किया जाए। इसके साथ जिम्‍मेदार डॉक्‍टरों और स्‍टाफ को निलंबित करे। इस धरने के प्रमुख और आदिवासी संगठन जयस के नेता लोकेश मुजाल्‍दा ने बताया कि हम तब तक न्‍याय के लिए यहां बैठे रहेंगे जब तक प्रशासन के कानों तक हमारी आवाज नहीं पहुंच जाती। उन्‍होंने बताया कि दोनों बच्‍चियों की मांएं भी पिछले कई घंटों से यहां बैठी हैं और बच्‍चियों को जिस जगह दफन किया था, वहां की मिट्टी उठाकर लाई है। इस मिट्टी को एमवाय अस्पताल की देहरी पर रखा गया है, ताकि ये बेरहम और गुंगा बहरा सिस्‍टम बच्‍चियों की आवाज सुन सकें।

सैंकड़ों लोग आए धरने पर, एक करोड़ की मांग : धार, कुक्षी, बड़वानी, राजगढ, देवास, बाग, टांडा, खरगोन, खंडवा से कई लोग यहां धरने पर बैठने के लिए आए हैं। यहीं चाय बन रही है और यहीं खाना भी आ रहा है। रात ढलती है तो चादर तान के सो जाते हैं। इंतजार सिर्फ एक ही बात का है कि उन्‍हें न्‍याय मिले। मुजाल्‍दा ने बताया कि उनकी मांग है कि दोषियों पर कार्रवाई हो और दोनों पीड़ित परिवारों को एक-एक करोड़ रुपए की आर्थिक मदद दी जाए।

क्‍या कहा डीन ने : महात्‍मा गांधी मेडिकल कॉलेज इंदौर के डीन डॉ अरविदं घनघोरिया ने बताया कि चूहे कांड के बाद कुछ लोग बैठे हैं धरने पर। ये लोग मैन गेट पर बैठे हैं। एमवाय में मेडिकल स्‍टूडेंट, नर्सिंग वाले, जूनियर और कुछ तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों का कहना है कि उन्‍हें गेट से आने जाने में दिक्‍कत होती है। उन्‍होंने काम बंद करने की बात कही थी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है, सभी काम कर रहे हैं। जहां तक जयस के प्रदर्शन का सवाल है तो यह मामला कोर्ट में है, इस पर मैं कुछ नहीं कह सकूंगा।

क्‍या है एमवाय का चूहा कांड : 31 अगस्त और 1 सितंबर की दरम्यानी रात एमवाय के आईसीयू में चूहों ने अलग-अलग जन्मजात विकृतियों से जूझ रही दो नवजात बच्चियों पर हमला किया, एक बच्‍ची के चार उंगलियां चूहे खा गए। जिसके बाद उनकी मौत हो गई थी। इनमें से एक बच्ची आदिवासी समुदाय के परिवार की थी, जबकि दूसरी बच्ची अल्पसंख्यक वर्ग के परिवार से ताल्लुक रखती थी। घोर लापरवाही के आरोपों से घिरे एमवायएच प्रशासन का दावा है कि दोनों नवजात बच्चियों की मौत का चूहों के काटने से कोई लेना-देना नहीं है और उन्होंने अलग-अलग जन्मजात विकृतियों के कारण पहले से मौजूद गंभीर स्वास्थ्यगत परेशानियों के कारण दम तोड़ा। चूहों के काटे जाने के बाद नवजात बच्चियों की मौत के मामले में एमवायएच प्रशासन अब तक आठ अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई कर चुका है जिसमें निलंबन और पद से हटाए जाने के कदम शामिल हैं। एमवायएच के अधीक्षक डॉ. अशोक यादव अपने 'अत्यंत खराब स्वास्थ्य' का हवाला देते हुए लम्बी छुट्टी पर चले गए हैं।

बता दें कि इस मामले में अब तक कोई एफआईआर नहीं हुई है। हाई कोर्ट ने स्‍वत: संज्ञान लेकर प्रशासन से जवाब तलब किया है। दो मासूस बच्‍चों की मौत के बाद भी सिस्‍टम का काम काज बदस्‍तूर जारी है।

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