एमवाय का चूहा कांड, ट्रक- बस हादसे और इमारत ढहने से 1 महीने में 12 लोगों की मौत, नजर लगी या लापरवाही का नशा
मेडिकल, ट्रैफिक विभाग से लेकर पुलिस और निगम प्रशासन तक, आखिर क्यों इंदौर में छाया है लापरवाही का नशा
प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल एमवाय में चूहा कांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से इस कांड में दो मासूम बच्चों की मौत हो गई। सवाल उठा कि अस्पताल में ही बच्चे सुरक्षित नहीं है। इस हादसे के ठीक बाद इंदौर के व्यस्ततम इलाके बड़ा गणपति में नो एंट्री में ट्रक घुस गया और चार लोगों को कुचल कर मार डाला। अभी इस हादसे में मृतकों के परिवार वालों के आंसू सूखे भी नहीं थे कि भाजपा विधायक गोलू शुक्ला की बाणेश्वरी ट्रैवल्स की बस ने पूरे पूरे परिवार को कुचलकर मार दिया। अब इंदौर के रानीपुरा में एक पुरानी इमारत धंस गई, जिसमें 13 लोग घायल हुए, जबकि 2 लोगों की मौत हो गई।
यह सारे हादसे पिछले एक महीने के भीतर हुए हैं। इंदौर लगातार इन हादसों की वजह से सुर्खियों में है। ये हादसे बताते हैं कि मेडिकल से ट्रैफिक विभाग और नगर निगम तक किस अधिकारियों पर कि कदर लापरवाही का नशा छाया हुआ है। लगातार तमाम हादसों में लोगों की जानें जा रही हैं। अस्पतालों में बच्चे सुरक्षित नहीं है तो सड़क पर आम आदमी सुरक्षित नहीं। यहां तक कि निगम की लापरवाही की वजह से घर में सोए हुए लोग भी जर्जर इतारतों का शिकार हो रहे हैं।
31 अगस्त 2025
एमवाय का चूहा कांड : 31 अगस्त और 1 सितंबर की दरम्यानी रात एमवाय के आईसीयू में चूहों ने अलग-अलग जन्मजात विकृतियों से जूझ रही दो नवजात बच्चियों पर हमला किया, एक बच्ची के चार उंगलियां चूहे खा गए। जिसके बाद उनकी मौत हो गई थी। इनमें से एक बच्ची आदिवासी समुदाय के परिवार की थी, जबकि दूसरी बच्ची अल्पसंख्यक वर्ग के परिवार से ताल्लुक रखती थी। घोर लापरवाही के आरोपों से घिरे एमवायएच प्रशासन का दावा है कि दोनों नवजात बच्चियों की मौत का चूहों के काटने से कोई लेना-देना नहीं है और उन्होंने अलग-अलग जन्मजात विकृतियों के कारण पहले से मौजूद गंभीर स्वास्थ्यगत परेशानियों के कारण दम तोड़ा। चूहों के काटे जाने के बाद नवजात बच्चियों की मौत के मामले में एमवायएच प्रशासन अब तक आठ अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई कर चुका है जिसमें निलंबन और पद से हटाए जाने के कदम शामिल हैं। एमवायएच के अधीक्षक डॉ. अशोक यादव अपने 'अत्यंत खराब स्वास्थ्य' का हवाला देते हुए लम्बी छुट्टी पर चले गए हैं।
14 सितंबर 2025
बड़ा गणपति ट्रक हादसा : एयरपोर्ट तरफ से बड़ा गणपति नो एंट्री में आए ट्रक ने करीब 20 वाहनों को टक्कर मारी। 15 से ज्यादा लोगों को अपनी चपेट में लिया। इनमें से 4 लोगों की मौत हो गई। मृतकों की संख्या ज्यादा है, लेकिन प्रशासन ने संख्या सामने नहीं आने दी। कुछ लोग मिसिंग हैं, जिनके परिजन उन्हें अब भी खोज रहे हैं। ट्रक ड्राइवर गुलशेर नशे में धुत था और एयरपोर्ट एरिया होने के बावजूद नो एंट्री में घुस आया। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि दुर्घटना में 7-8 लोगों की मौत हुई है।
17 सितंबर 2025
विधायक शुक्ल की बस से खत्म हुआ परिवार : सांवेर क्षेत्र के रिंगनोदिया रोड पर मोटरसाइकिल से इंदौर आ रहे मूसाखेड़ी निवासी 45 वर्षीय महेंद्र सोलंकी, उनकी पत्नी 40 वर्षीय जयश्री सोलंकी, 15 वर्षीय बेटे जिगर एवं 12 वर्षीय तेजस्वी को बाणेश्वरी ट्रेवल्स की बस ने टक्कर मारकर बुरी तरह कुचल दिया था, जिससे सभी की मौके पर मौत हो गई थी। महेंद्र का परिवार भोपाल में अपनी भाभी किरण सोलंकी की अंतिम यात्रा में शामिल होने गया था। इस घटना में शामिल ड्राइवर और क्लीनर के खिलाफ पुलिस सांवेर ने मामूली धारा में प्रकरण दर्ज किया है। बाद में ड्राइवर गिरफ्तार हुआ। उसने बताया कि ओवरटेक में हादसा हुआ। इसके पहले विधायनक गोलू शुक्ला ने कहा था कि खड़ी बस में टकराने से मौतें हुईं।
22 सितंबर 2025
इमारत ध्वस्त, 2 मौतें, 12 घायल : इंदौर के जवाहर मार्ग पर स्थति रानीपुरा के दौलतगंज में सोमवार रात करीब 9.12 बजे तीन मंजिला मकान धराशायी हो गया। मकान गिरने के धमाके से इलाके में सनसनी फैल गई। इमारत के मलबे में 12 लोग दबकर घायल हो गए। इनमें से दो लोगों की मौत हो गई। घायलों में से 4 लोगों की हालत गंभीर है। हादसे में अल्फिया (20) पिता रफीउद्दीन और फहीम की मौत हो गई। अल्फिया को रात करीब डेढ़ बजे जबकि फहीम का शव मंगलवार सुबह करीब 4 बजे निकाला जा सका।
सिस्टम में सतर्कता और निगरानी नजर नहीं आ रही : इंदौर के ये 4 हादसे इस बात के गवाह हैं कि यहां शासन-प्रशासन से लेकर ट्रैफिक विभाग, नगर निगम और अस्पतालों में ड्यूटी कर रहे डॉक्टरों पर किस कदर लापरवाही का आलम छाया हुआ है। इन हादसों को देखकर लगता है कि किसी को आम लोगों की परवाह ही नहीं है। इन सारे हादसों के बाद इंदौर को हादसों का शहर बताया जा रहा है। इन सब के बावजूद यहां सिस्टम में वो सतर्कता और निगरानी नजर नहीं आ रही है, जो अब बेहद गंभीरता से नजर आनी चाहिए थी।