अच्छा होता नगर निगम प्रशासन, No Car Day के साथ नो गड्डा डे भी मनाता
महापौर पर कांग्रेस ने कसा तंज, पब्लिसिटी स्टंट से बाहर आकर रीयल महापौर बनिए
जाम और हादसों से इंदौर के लोगों को बचा लोगे तो हर घिसी-पीटी रवायत अच्छी लगेगी
नगर निगम ने इंदौर में 22 सितंबर को No Car Day की पहल तो अच्छी की, लेकिन यह कार डे बे-कार ही गया। ज्यादातर लोग कार के साथ ही बाहर निकले। कार डे कोई असर नजर नहीं आया, बेहतर होता निगम प्रशासन No Car Day के साथ ही नो गड्ढा डे मनाता। इससे कम से कम इंदौर की जनता को एक दिन शहर के गड्ढों से तो राहत मिलती। अगर निगम प्रशासन शहर के गड्ढों को भर देता तो जनता पर अहसान होता और जिन ट्रक और बसों के हादसों में पूरे- पूरे परिवार खत्म हो रहे हैं, कम से कम वो नहीं होता। सबसे स्वच्छ शहर के ऊपर कम से कम हादसों में लोगों के मर जाने का दाग नहीं लगता।
पहले रोज रोज के जाम से मुक्ति दिला दो। बच्चों के गड्ढों में बह जाने की घटनाओं को रोक लो। नो एंट्री में ट्रक घुस रहे हैं और लोगों की जान ले रहे हैं,उन्हें रोक लो। बेलगाम जनप्रतिनिधियों की बसों पर लगाम लगा लो। हुकुमचंद मिल का सघन जंगल कटने से बचा लो। यह बस कर सकोगे तो नो कार डे जैसी हर घिसी-पिटी रवायत शायद कुछ अच्छी लगे।
नो कार डे की नौटंकी भरपूर : हैरान करने वाली बात है कि लोगों को नो कार डे के लिए प्रेरित करने के बजाए अन्य दूसरी नौटंकी भरपूर शहर में नजर आई। नो कार डे के एक दिन पहले रविवार की शाम को 56 दुकान पर संगीत संध्या का आयोजन किया गया। लोगों से कलाकारों ने सोमवार को कार के बजाए अन्य विकल्पों से यात्रा करने के लिए कहा। सोमवार को पलासिया से राजवाड़ा तक साइकलोथन का आयोजन भी किया गया।
कांग्रेस का तंज : रील से निकलर रियल महापौर बनिए
प्रशासन के इस नो कार डे पर कांग्रेस ने महापौर पुष्यमित्र भार्गव पर जमकर तंज कसा है। कांग्रेस ने तंज कसते हुए कहा कि 3 साल हो गए अब तो रील से निकलर रियल महापौर बनिए। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अमित चौरसिया ने नगर निगम इन्दौर और महापौर पुष्यमित्र भार्गव पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि– 3 साल के कार्यकाल में ट्रैफिक सुधार, स्वच्छ वायु और सड़क सुरक्षा के नाम पर केवल “इवेंट मैनेजमेंट” और “पब्लिसिटी स्टंट” हुए हैं, जमीनी स्तर पर कोई ठोस सुधार दिखाई नहीं देता। कब तक रील की दुनिया मे पब्लिसिटी के स्टंट करते रहेंगे?
जनता के साथ छलावा है नो कार डे : कांग्रेस ने कहा कि महापौर द्वारा बार-बार “नो कार डे” मनाना असल में जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश है। सच यह है कि ट्रैफिक जाम, वन-वे, हेलमेट, इलेक्ट्रिक स्कूटर और “ट्रैफिक मित्र” जैसे प्रयोग सब नाकाम साबित हुए। जवाहर वने वे कर ट्रैफ़िक का बट्टा बिठाने और मधु मिलन चौराहा को प्रभु मिलन चौराहा करने का श्रेय महापौर जी आप ही को जाता है।
ये है प्रदूषण के हाल : 2023 और 2024 की प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व केंद्र सरकार की रिपोर्ट में साफ हुआ कि “नो कार डे” से प्रदूषण कम नहीं हुआ, बल्कि इन्दौर की हवा दूषित हुई और शहर स्वच्छ वायु वाले शहरों की लिस्ट में 1 से गिरकर 7वें स्थान पर पहुंच गया। नो कार डे के नाम पर लाखों रुपए पोस्टरों और दिखावे पर फूंके गए, जबकि सड़क दुर्घटनाओं और ओवरस्पीडिंग पर रोक लगाने के लिए न कोई पॉलिसी बनी और न कोई ठोस कार्रवाई हुई। सड़कों पर बेतरतीब स्पीड ब्रेकर बना दिए गए जो जिस की वजह से आए दिन दुर्घटना हो रही है।
बड़ा गणपति ट्रक हादसा नाकामी : कांग्रेस प्रवक्ता अमित चौरसिया ने कहा कि इन्दौर में हाल ही में हुए बड़ा गणपति ट्रक हादसा और भाजपा विधायक के परिवार की बस से हुए 4 लोगों की मौत इसका सबसे बड़ा प्रमाण है कि प्रशासन और भाजपा नेताओं की नाकामी से सड़कों पर मौत का तांडव जारी है। इन हादसों में भी जिम्मेदार नेताओं ने लीपापोती और बचाव की राजनीति की।
कांग्रेस की महापौर को सलाह : महापौर और भाजपा सरकार को “नो कार डे” जैसी दिखावटी कवायद छोड़कर जमीनी हकीकत पर काम करना चाहिए –
1. ओवरस्पीड बसों-ट्रकों पर लगाम लगानी चाहिए।
2. शहरी इलाकों में नो एंट्री पॉलिसी सख्ती से लागू करनी चाहिए।
3. सड़क सुरक्षा और ट्रैफिक मैनेजमेंट पर स्थायी समाधान लाना चाहिए।
4. सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करना चाहिए, ताकि लोग कार का विकल्प चुन सकें।
महापौर जी, जनता को भ्रमित करने वाले आयोजनों से अब इन्दौर की जनता का धैर्य जवाब दे रहा है। सड़क पर बहता खून और बिगड़ता ट्रैफिक आपके बेमिसाल कार्यकाल की असल तस्वीर है।
एक दिन से कुछ नहीं होता : सोमवार सुबह मेयर पुष्य मित्र भार्गव एमआईसी मेंबरों के साथ सायकल पर निकले। निगमायुक्त दिलीप कुमार यादव सुबह 6 बजे निगम अफसरों के साथ ट्रेंचिंग ग्राउंड के दौरे पर गए। इसके लिए उन्होंने बस का उपयोग किया। मंत्री तुलसी सिलावट सुबह हनुमान मंदिर के दर्शन करने जाते हैं। इसके लिए उन्होंने ई रिक्शा मंगाया और पत्नी के साथ मंदिर पहुंचे। हाईकोर्ट के कुछ जज भी अपने घरों से कार के बजाए पैदल निकले और कोर्ट पहुंचे। इन सारी औपचारिकताओं पर कांग्रेस ने कहा कि एक दिन से कुछ नहीं होता, पहले शहर की असली समस्याओं से जनता को छुटकारा दिला दीजिए, उसके बाद यह सब करोगे तो अच्छा लगेगा। कुल मिलाकर इस बार भी इंदौर का नो कार डे एक रवायत बनकर रह गया।
रिपोर्ट : नवीन रांगियाल