शहर के चित्रकार योगेंद्र सेठी की कोलकाता में लगी प्रदर्शनी को अभूतपूर्व प्रतिसाद

Webdunia
शुक्रवार, 25 नवंबर 2022 (18:44 IST)
इंदौर, देश के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित कला संस्थानों में अग्रणी कोलकाता के एकेडमी ऑफ़ फाइन आर्ट्स में शहर के लब्ध प्रतिष्ठित चित्रकार योगेंद्र सेठी के पहले सोलो शो ने सफलता के नए प्रतिमान स्थापित किए। कला प्रदर्शनी के दौरान लगातार कला प्रेमियों का तांता लगा रहा, जिन्होंने बड़ी जिज्ञासा से आध्यात्मिक सिद्धांतों को इम्प्रेशनिस्टिक विधा के माध्यम से व्यक्त करती पेंटिंग्स को देखा एवं उनकी जमकर सराहना की। प्रदर्शनी में पश्चिम बंगाल के अनेक मंत्री, विधायक, बड़े उद्योगपतियों सहित कला जगत की हस्तियां शामिल हुईं। कोलकाता में जिस तरह कला प्रदर्शनी देखने सभी वर्गों के दर्शक उमड़ते हैं वह देश के अन्य शहरों के लिए प्रेरक मिसाल है।

देश के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित कला संस्थानों में अग्रणी कोलकाता के एकेडमी ऑफ़ फाइन आर्ट्स में इंदौर के लब्ध प्रतिष्ठित चित्रकार योगेंद्र सेठी के सोलो शो "डायमंड सोल" को कोलकाता शहर के कला प्रेमी दर्शकों ने गज़ब की ऊंचाई एवं गरिमा प्रदान की। यह श्री सेठी का कोलकाता में पहला सोलो शो था तथा दर्शकों की संख्या एवं उनके प्रतिसाद से स्पष्ट हो गया कि क्यों कोलकाता को देश की सांस्कृतिक राजधानी कहा जाता है। आम तौर पर विभिन्न शहरों में कला प्रदर्शनियों में उद्घाटन के दिन दर्शकों की बड़ी संख्या दिखती है और बीच के दिनों में संख्या कम ही रहती है।

इसके अलावा पेंटिंग्स का दर्शक वर्ग अन्य विधाओं की तुलना में सीमित भी नज़र आता है। ऐसे में कोलकाता में प्रतिदिन दर्शकों की बड़ी तादाद, पेंटिंग्स के प्रति उनकी गहरी दिलचस्पी और पूरे दिनों तक दर्शकों का समान क्रम आश्चर्यमिश्रित आनंद देने वाला भी है और अन्य शहरों को प्रेरणा देने वाला भी। कलाकार के प्रति सम्मान भाव भी कोलकाता में अपेक्षाकृत बहुत अधिक है। योगेंद्र सेठी का अनेक संगठनों द्वारा सम्मान किया गया।

इसके अलावा अन्य शहरों में सामान्यतः अतिथियों की संख्या बहुत सीमित रहती है, वहीं टीवी पत्रिका "वाह ज़िंदगी" द्वारा प्रस्तुत इस कला प्रदर्शनी में कला, उद्योग, राजनीति, सामजिक आदि क्षेत्रों की महत्वपूर्ण हस्तियों ने एक साथ शिरकत कर इसे छोटे उत्सव सा रूप से दिया। कला आयोजन के उद्घाटन सत्र में अम्बुजा नेवटिया समूह के अध्यक्ष पद्मश्री हर्ष नेवटिया, रूपा होजियरी समूह के अध्यक्ष पद्मश्री प्रह्लाद राय अग्रवाल एवं प्रबंध निदेशक कुंजबिहारी अग्रवाल, पाटों पैटॉन ग्रुप क्व एमडी संजय बुधिया, विधायक विवेक गुप्ता, एवरग्रीन होजियरी के चेयरमैन निर्मल बिंदायका, जेके मसाला समूह के चेयरमैन भागचंद काला, भीखमचंद पुगलिया, महासभा के राष्ट्रीय मंत्री राजकुमार सेठी, सिद्धायतन के संतोष सेठी, कोलकाता महानगर पालिका के पदाधिकारीगण सुशील पोद्दार, बाबू बख़्शी, अध्यक्ष देबलीना बिस्वास, नेपाल के काउंसल जनरल ईशर राज पोद्दार, आदि विशेष रूप से शामिल हुए।

कला प्रदर्शनी के दौरान आयोजित चर्चा सत्रों में टीवी पत्रकार ललित सराओगी, महासभा के सुनील पहाड़िया, मनोज कासलीवाल, मनीष गंगवाल, सनत छाबड़ा, अजय जैन, अनीता सराओगी, सबिता जैन, जय सराओगी, सादिक अली, पोज्जा बजाज, म्हारो कलकत्तो रेणु जैन आदि ने भाग लिया। चित्रकार योगेंद्र सेठी कला प्रदर्शनी के इस अभूतपूर्व प्रतिसाद से अभिभूत हुए और उन्होंने कहा कि कला के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए कोलकातावासी देश के सम्मुख मिसाल प्रस्तुत करते हैं। कोलकाता शहर के कला प्रेमी नागरिकों ने ही शहर का सांस्कृतिक राजधानी का दर्ज़ा बरक़रार रखा है। श्री सेठी ने कलाकारों को सलाह दी कि दिल्ली - मुंबई के अलावा कोलकाता में भी उन्हें अपनी कला प्रदर्शित करनी चाहिए।

ज्ञातव्य है कि सन 1933 में स्थापित कोलकाता की एकेडमी ऑफ़ फाइन आर्ट्स देश की सबसे प्रतिष्ठित और पुरानी कला संस्थानों में शामिल है। आज़ादी के बाद कोलकाता के पॉश क्षेत्र कैथेड्रल रोड पर इसके वर्तमान विशाल और खूबसूरत परिसर के लिए स्थान पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने उपलब्ध करवाया था। इस ऐतिहासिक आर्ट गैलरी में शो करना कलाकारों के लिए विशेष महत्व रखता है। योगेंद्र सेठी अपनी सुप्रसिद्ध श्रृंखला 'डायमंड सोल' का चौथा संस्करण यहां प्रस्तुत किया। ज्ञातव्य है कि इम्प्रेशनिस्टिक विधा में अंतराष्ट्रीय ख्याति रखने वाले श्री सेठी के चित्र दुनिया भर की कई प्रतिष्ठित गैलरियों में प्रदर्शित हैं एवं अमेरिका के प्रतिष्ठित नेशनल आर्ट्स क्लब, न्यूयॉर्क ने उन्हें अपनी मानद सदस्यता से नवाज़ा है। बरसों तक पाश्चात्य जगत की रूचि के अनुरूप पेंटिंग्स बनाने के बाद श्री सेठी आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज प्रेरणा से प्राचीन भारतीय सिद्धांतों और शास्त्रों में लिखी सनातन बातों को इम्प्रेशनिस्टिक विधा में अपनी विशिष्ट कलादृष्टि से ख़ास सब्जेक्टिव मॉडर्न आर्ट के रूप में प्रस्तुत करते हैं। प्राचीन शास्त्रों और आधुनिक चित्रकला के एक सेतु के रूप में देखी जानी वाली इन पेंटिंग्स को कोलकाता से पूर्व देश-विदेश के अनेक शहरों में सराहा जा चुका है। जानकारी कला-मर्मज्ञ आलोक बाजपेयी ने दी।
Edited: By Navin Rangiyal

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