आचार्य चाणक्य के आदर्श वाक्य

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* जब भी आप किसी भी नए कार्य की शुरुआत करें, तो असफलता से मत डरें और उस काम को बीच में ना छोड़ें। क्योंकि जो लोग ईमानदारी से काम करते हैं वो सबसे प्रसन्न होते हैं।


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* जब आप तप करते है तो अकेले करें, अभ्यास करते है तो दूसरे के साथ करें, गायन करते है तो तीन लोग मिलकर करें, कृषि (खेती) करते है, तो चार लोग करें और जब युद्ध की स्थिति आए तो अनेक लोग मिलकर करें।

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* व्यक्ति अकेले पैदा होता है और अकेले मर जाता है और वो अपने अच्छे और बुरे कर्मों का फल खुद ही भुगतता है। वह अकेले ही स्वर्ग या नर्क जाता है।


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* यह बातें एक बार ही होनी चाहिए।
- राजा का बोलना, विद्वान व्यक्ति का बोलना, लड़की का ब्याहना।


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* हमें कभी भी भूतकाल के बारे में पछतावा नहीं करना चाहिए और ना ही भविष्य के बारे में चिंतित होना चाहिए। क्योंकि विवेकवान व्यक्ति हमेशा वर्तमान में जीते हैं।


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* जैसे ही भय आपके करीब आने लगे, आप उस पर तुरंत आक्रमण कर उसे हमेशा के लिए नष्ट कर दीजिए।




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