* सज्जनों की संगति करने पर कुछ समय पश्चात ही दुर्जनों में भी सज्जनता आ ही जाती है।
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क्षेत्रचूड़ामण ि
* सज्जन मनुष्य लाख विपत्ति आने पर भी अपनी सज्जनता नहीं छोड़ते, इसी सज्जनता से समूचे विश्व का कल्याण होता है।
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अज्ञा त
* माना जाता है कि मनुष्य जिस संगति में रहता है, उसकी छाप उस पर पड़ती है। उसका निज गुण छुप जाता है और वह संगति का गुण प्राप्त कर लेता है।
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एकनाथ
* हमें परमेश्वर विद्वानों की संगति से ही प्राप्त होते हैं।
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ऋग्वे द
* जिस मनुष्य ने अपने जीवन में शीतल एवं सज्जनरूपी गंगा में स्नान कर लिया, उसको दान, तीर्थ, तप तथा यज्ञ से क्या प्रयोजन?
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वाल्मीक ि