महात्मा विदुर के आदर्श वाक्य

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* 10 प्रकार के लोग धर्म को नहीं जानते, उन्हें तुम जानो। वे यह हैं - मद्यपान से मत्त, विषयासक्त मन वाला (प्रमत्त), उन्माद आदि रोग से युक्त (उन्मत्त), थका हुआ, क्रोध से युक्त, भूखा, शीघ्रता करने वाला, लोभी, डरा हुआ, अहंकारी और कामी। इसलिए हमें चाहिए कि इनसे संपर्क न रखें।


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* क्रोध को प्रेम से जीतो। दुष्ट व्यक्ति को उत्तम व्यवहार से वश में करें, कृपण मनुष्य को दान से और असत्य पर सत्य के द्वारा विजय प्राप्त करो। धर्म हमें यही सिखाता है।



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* आलस्य करना, मादक पदार्थों का सेवन करना, घर आदि में मोह रखना, चपलता रखना, एकाग्रचित्त न होना, व्यर्थ की बात में समय बिताना। ऐसे दुर्गुणों से युक्त मनुष्य को विद्या की प्राप्ति नहीं होती।



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* दूसरे के धन को हरना (उस पर नजर रखना), पराई स्त्री से संपर्क रखना तथा सहृदय मित्र का त्याग- यह तीन दोष आदमी का नाश कर देते हैं।



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* हमेशा गुरुजनों का सम्मान भाव रखने वाले, सदा अनुभवी बुजुर्गों की सेवा करने वाले मनुष्य के सम्मान, आयु, यश तथा बल, यह चारों बढ़ते हैं।



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* दुर्गुण वाले मनुष्य का मृत्यु नहीं बल्कि अपने कर्मों के परिणाम ही उसे मारते हैं।


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