राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी

पुण्‍यतिथि पर विशेष

Webdunia
जन्म : 2 अक्टूबर, 1869
मृत्यु : 30 जनवरी, 1948
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राष्ट्रपिता के रूप में सम्मानित, बेलगाम काँग्रेस अधिवेशन (1924) के अध्यक्ष रहे गौतम बुद्ध और महावीर स्वामी के अहिंसा के विश्वव्यापी दर्शन को राजनीति की प्रयोगशाला में ले जाने वाले मोहनदास करमचन्द गाँधी का जन्म पोरबंदर गुजरात में हुआ। 1888 में वे कानून पढ़ने इंग्लैंड गए और बार-एट-लॉ होकर 1891 में स्वदेश लौटे। वहाँ से लौटकर उन्होंने वकालत शुरू की।

1893 में अफ्रीका जाकर गाँधीजी ने भारतीयों के नागरिक अधिकारों के लिए आंदोलन किए। वहाँ से 1903 में उन्होंने 'इंडियन ओपीनियन' नामक अखबार निकाला और सत्याग्रह आश्रम के जरिये सात्विक जीवन बिताने की प्रेरणा दी। 1914 में जोहांसबर्ग में सत्याग्रह शिविर की शुरुआत कर 19 दिसम्बर, 1914 को वे स्वदेश लौटे।

गाँधीजी 1915 से महात्मा के रूप में विश्व में पहचाने गए। इसके बाद उन्होंने सत्याग्रह आश्रम की शुरुआत की। 1917 में चंपारण में उन्होंने नील की खेती करने वाले किसानों के आंदोलन को संगठित किया।
  राष्ट्रपिता के रूप में सम्मानित, बेलगाम काँग्रेस अधिवेशन (1924) के अध्यक्ष रहे गौतम बुद्ध और महावीर स्वामी के अहिंसा के विश्वव्यापी दर्शन को राजनीति की प्रयोगशाला में ले जाने वाले मोहनदास करमचन्द गाँधी का जन्म पोरबंदर गुजरात में हुआ।      


1920-22 के अहिंसक असहयोग आंदोलन, 1930-32 के दाँडी मार्च (नमक सत्याग्रह) और सविनय अवज्ञा आंदोलनों और 1940-42 के एकल सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलनों में महात्मा गाँधी शीर्षस्थ राष्ट्रनायक के रूप में स्वीकारे गए।

9 अगस्त, 1942 को उन्होंने बंबई में 'करो या मरो' का आह्वान किया। गाँधीजी गिरफ्तार किए गए और आगा खाँ महल पुणे में नजरबंद रखे गए, जहाँ से 6 मई, 1944 को रिहा किए गए। उन्होंने अनेक बार उपवास किए और स्वतंत्रता बहाल करने के लिए कई बार जेल यात्राएँ की। गाँधीजी की शहादत तिथि (30 जनवरी) समूचा राष्ट्र कृतज्ञ होकर 'शहीद दिवस' के रूप में मनाता है।

आइंस्टीन ने गाँधीजी के बारे में एक बार कहा था कि ' आने वाली पीढ़ी शायद ही यह विश्वास कर पाएगी कि हाड़-माँस का यह मानव धरती पर पैदा हुआ था।'

' आप पूछ सकते है कि केवल दक्षिण ही में हिन्दी प्रचार के लिए क्यों? मेरा उत्तर यह है कि दक्षिण भारत कोई छोटा प्रदेश नहीं है। वह तो एक महाद्वीप-सा है। वहाँ चार प्रान्त और चार भाषाएँ हैं- तमिल, तेलुगू, मलयालम और कन्नड़। वहाँ की आबादी करीब सवा सात करोड़ है। इतने लोगों में यदि हम हिन्दी प्रचार की नींव मजबूत कर सकें तो अन्य प्राँतों में बहुत ही सुभीता हो जाएगा।' - हिन्दी साहित्य सम्मेलन, इंदौर में 20 अप्रैल 1935 को दिए गए भाषण से।
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