बलिदान दिवस : पढ़ें क्रांतिकारी देशभक्त खुदीराम बोस की साहसिक जीवनगाथा

Webdunia
Khudiram Bose
 
खुदीराम बोस को कुछ इतिहासकार देश के लिए फांसी पर चढ़ने वाला सबसे कम उम्र का क्रांतिकारी देशभक्त मानते हैं। उन्होंने मात्र 18 साल की उम्र में देश को अंग्रेजों की हुकूमत से मुक्त कराने के लिए संघर्ष करते हुए सूली पर चढ़ गए थे। उन्होंने अपना जीवन उस उम्र में देश के समर्पित कर दिया, जब एक युवा अपने करियर को लेकर असमंजस में रहता है। उनके बलिदान ने 11 अगस्त, 1908 को इतिहास में दर्ज कर दिया।
 
भारतीय स्वाधीनता संग्राम का इतिहास क्रांतिकारियों के सैकड़ों साहसिक कारनामों से भरा पड़ा है। क्रांतिकारियों की सूची में ऐसा ही एक नाम है खुदीराम बोस का, जो मात्र 19 साल की उम्र में ही देश के लिए फांसी पर चढ़ गए। खुदीराम बोस का जन्म 3 दिसंबर 1889 को पश्चिम बंगाल के मिदनापुर में त्रैलोक्यनाथ बोस के यहां हुआ था। देश को आजाद कराने की ऐसी लगन लगी कि उन्होंने 9वीं कक्षा के बाद ही पढ़ाई छोड़ दी और स्वदेशी आंदोलन में कूद पड़े।
 
इसके बाद वे रिवॉल्यूशनरी पार्टी के सदस्य बने और वंदेमातरम् पैम्फलेट वितरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1905 में बंगाल विभाजन के विरोध में चलाए गए आंदोलन में भी उन्होंने बढ़-चढ़कर भाग लिया।
 
इतिहासवेत्ता मालती मलिक के अनुसार 28 फरवरी 1906 को खुदीराम बोस गिरफ्तार कर लिए गए लेकिन वे कैद से भाग निकले। लगभग 2 महीने बाद अप्रैल में वे फिर से पकड़े गए। 16 मई 1906 को उन्हें रिहा कर दिया गया।
 
6 दिसंबर 1907 को खुदीराम ने नारायगढ़ रेलवे स्टेशन पर बंगाल के गवर्नर की विशेष ट्रेन पर हमला किया, परंतु गवर्नर बच गया। सन 1908 में उन्होंने दो अंग्रेज अधिकारियों वाट्सन और पैम्फायल्ट फुलर पर बम से हमला किया लेकिन वे भी बच निकले।
Ads by 
 
खुदीराम बोस मुजफ्फरपुर के सेशन जज से बेहद खफा थे, क्योंकि उसने बंगाल के कई देशभक्तों को कड़ी सजा दी थी। उन्होंने अपने साथी प्रफुल्लचंद चाकी के साथ मिलकर सेशन जज किंग्सफोर्ड से बदला लेने की योजना बनाई।
 
दोनों मुजफ्फरपुर आए और 30 अप्रैल 1908 को सेशन जज की गाड़ी पर बम फेंक दिया, लेकिन उस समय गाड़ी में किंग्सफोर्ड की जगह उसकी परिचित दो यूरोपीय महिला कैनेडी और उसकी बेटी सवार थी। किंग्सफोर्ड के धोखे में दोनों महिलाएं मारी गई जिसका खुदीराम और प्रफुल्ल चंद चाकी को बेहद अफसोस हुआ।
 
अंग्रेज पुलिस उनके पीछे लगी और वैनी रेलवे स्टेशन पर उन्हें घेर लिया। अपने को पुलिस से घिरा देख प्रफुल्लचंद चाकी ने खुद को गोली मारकर अपनी शहादत दे दी जबकि खुदीराम पकड़े गए। 11 अगस्त 1908 को उन्हें मुजफ्फरपुर जेल में फांसी दे दी गई। उस समय उनकी उम्र मात्र 19 साल थी।
 
फांसी के बाद खुदीराम बोस इतने लोकप्रिय हो गए कि बंगाल के जुलाहे एक खास किस्म की धोती बुनने लगे। इतिहासवेत्ता शिरोल के अनुसार बंगाल के राष्ट्रवादियों के लिए वह वीर शहीद और अनुकरणीय हो गया। विद्यार्थियों तथा अन्य लोगों ने शोक मनाया। कई दिन तक स्कूल बंद रहे और नौजवान ऐसी धोती पहनने लगे जिनकी किनारी पर 'खुदीराम' लिखा होता था।

ALSO READ: खुदीराम बोस दिवस : खुदीराम बोस के जीवन की 10 विशेष बातें
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

प्रयागराज की बेटी ने लहराया बैंकॉक के आसमान में महाकुंभ का झंडा!

भारत की पवित्र नदियों पर रखिए अपनी बेटी का नाम, मीनिंग भी हैं बहुत खूबसूरत

सर्दियों में सुबह सुबह अचानक जी घबराने लग जाए तो ये करें

क्या आपके मुन्ने की भी है रजाई से लड़ाई, जानिए ठंड में क्यों नहीं ओढ़ते हैं बच्चे

क्या सुबह के मुकाबले रात में ज्यादा बढ़ता है ब्लड प्रेशर? जानिए सच्चाई

सभी देखें

नवीनतम

Republic Day Wishes 2025 : भारत की विविधता, एकता और लोकतंत्र को दर्शाने वाले 10 देशभक्ति कोट्स

तिल संकटा चौथ पर कौन सा प्रसाद चढ़ाएं श्रीगणेश को, जानें तिल का महत्व और भोग की विधि

Saif Ali Khan Attack with Knife: चाकू के वार से गले की नसों पर हमला, जानिए कितना है खतरनाक?

पीरियड्स में महिला नागा साधु कैसे करती हैं महाकुंभ में स्नान, ये हैं नियम

76th Republic Day : गणतंत्र दिवस पर 10 लाइन में निबंध

अगला लेख