25 अगस्त को अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग का निधन, चांद पर रखा था कदम

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Neil Armstrong : अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग को भला कौन नहीं जानता, उन्होंने ही पहली बार चांद पर कदम रखा था। उनके साथ एक अन्य अंतरिक्ष यात्री एडविन एल्ड्रिन भी थे। उन्‍होंने 21 जुलाई 1969 में पहली बार चांद पर कदम रखा और 2.5 घंटे की स्‍पेस वॉक भी की थी।

जैसे ही उन्होंने अपना पहला कदम चंद्रमा की धरती पर रखा, दुनिया में खुशी की लहर दौड़ गई। आर्मस्ट्रांग अपोलो 11 अंतरिक्ष यान में सवार हुए थे जो 20 जुलाई 1969 को चंद्रमा पर उतरा था। आज 25 अगस्त को उनकी पुण्यतिथि है। आइए यहां जानते हैं नील आर्मस्ट्रांग के बारे में- 
 
नील आर्मस्ट्रांग का जन्म 5 अगस्त, 1930 में वापकोनेटा ओहियो में हुआ था। उनके पिता का नाम स्टीफेन आर्मस्ट्रांग और माता का नाम वायला लुई एंजेल था। उनके  जून और डीन नाम के दो भाई थे और सबसे छोटे नील थे। मात्र पांच वर्ष की उम्र में नील को उनके पिता ने उन्हें पहली बार हवाई उड़ान का अनुभव कराया था। 
 
नील आर्मस्ट्रांग खगोलयात्री बनने से पूर्व नौसेना में थे। वे नौसेना अधिकारी के साथ ही एयरोस्पेस इंजीनियर, परीक्षण पायलट और एक प्रोफेसर भी थे। नील आर्मस्ट्रांग मुख्यतः पायलट थे। उन्हें विमान उड़ाने में उन्हें बहुत मजा आता था।

उन्होंने कोरिया युद्ध में हिस्सा लिया था और अमेरिका-कोरिया युद्ध के दौरान वे लड़ाकू विमानों के पायलट भी रहे थे। उन्होंने एक बार कहा था कि हर व्यक्ति के पास एक निश्चित संख्या में हृदय की धड़कनें होती हैं, उन्हें मैं भागने में बर्बाद नहीं करना चाहता। अत: उन्हें उड़ना बहुत पसंद था।
 
उन्होंने दक्षिण कैलिफोर्निया में परास्नातक की उपाधि भी प्राप्त की थी। नील आर्मस्ट्रांग ने नौसेना के बाद में पुरुड विश्वविद्यालय से स्नातक किया तथा एक ड्राइड्रेन फ्लाइट रिसर्च सेंटर से जुड़ गए और इस सेंटर से जुड़ने के बाद उन्होंने करीबन 900 से अधिक उड़ाने भरी। 
 
नील इतने अच्छे पायलट थे कि वे 200 से ज्‍यादा तरह के विमान उड़ा सकते थे। और उन्होंने कई अलग-अलग तरह के हवाई जहाज उड़ाएं भी। इनमें एक हवाई जहाज 4000 किमी प्रति घंटे से उड़ने वाला भी था।

सन् 1971 में नील आर्मस्ट्रांग ने अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) छोड़ दिया था और चूंकि वे प्रोफेसर भी थे तो छात्रों को अंतरिक्ष इंजीनियरिंग के बारे में पढ़ाने लगे थे। नील आर्मस्ट्रांग ने 25 अगस्त 2012 को दिल की बीमारी से जूझते हुए संसार को अलविदा कहा।

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