चक्रवर्ती राजगोपालाचारी : जानिए 12 विशेष बातें...

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स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी राजगोपालाचारी 

 
* भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहम किरदार निभाने वाले चक्रवर्ती राजगोपालाचारी का जन्म मद्रास के थोराप्पली गांव में 10 दिसंबर, 1878 को वैष्णव ब्राह्मण परिवार में हुआ था। 
 
* उनके पिता का नाम नलिन चक्रवर्ती था। 
 
* उनका प्राथमिक शिक्षण होसुर के सरकारी स्कूल में हुआ। तत्पश्चात बेंगलोर के सेंट्रल कॉलेज से ग्रेजुएशन पूरा करके मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज से लॉ की पढ़ाई की और वकालत करते हुए खूब नाम कमाया।  
 
* उनका विवाह सन् 1897 में अलामेलू मंगम्मा से संपन्न हुआ। 
 




 


* सन् 1904 में देशसेवा की भावना से वे कांग्रेस में सम्मिलित हुए। 
 
* उन्होंने राजनीतिक समस्याओं के साथ-साथ सांस्कृतिक विषयों पर भी लेखन किया। रामायण, महाभारत और गीता का अनुवाद अपने ढंग से किया। 
 
* कई मौलिक कहानियां लिखने के साथ ही उन्होंने कुछ दिनों तक महात्मा गांधी के ‘यंग इंडिया’ का संपादन भी किया। 
 
* साहित्य अकादमी द्वारा उन्हें पुस्तक ‘चक्रवर्ती थिरुमगम्’ पर सम्मान भी मिला।  
 
 

* नेहरूजी के नेतृत्व में सन् 1946 में जब अंतरिम सरकार बनी तो उन्हें उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री बनाया गया। 
 
* स्वराज्य मिलने के बाद राजगोपालाचारी को भारत का प्रथम गवर्नर जनरल मनोनीत किया गया तत्पश्चात वे सरदार पटेल के निधन के बाद गृहमंत्री भी बने।  
 
* सन् 1959 में उन्होंने एक अलग 'स्वतंत्रता पार्टी' का गठन भी किया। 
 
* 92 वर्ष की उम्र में 28 दिसंबर 1972 को चेन्नई में उनका निधन हो गया। ऐसे महान स्वतंत्रता सेनानी चक्रवर्ती राजगोपालाचारी को प्यार से लोग 'राजाजी' बुलाते थे। 
 
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