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रानी अवंतीबाई लोधी कौन थीं, जानिए बलिदान की कहानी

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WD Feature Desk

, गुरुवार, 20 मार्च 2025 (10:59 IST)
Rani Avantibai: रानी अवंतीबाई लोधी एक महान वीरांगना थीं, जिन्होंने 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी। उनका बलिदान दिवस या पुण्यतिथि 20 मार्च को मनाई जाती है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, देश के स्वाभिमान के लिए अंतिम सांस तक संघर्ष करने वाली साहसी महिला रानी अवंतीबाई लोधी के बारे में आइए जानते हैं...
 
रानी अवंतीबाई का जीवन परिचय: रानी अवंतीबाई का जन्म 16 अगस्त 1831 को मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के मनकेड़ी गांव में हुआ था। उनका विवाह रामगढ़ रियासत के राजा लक्ष्मण सिंह लोधी के साथ हुआ था। 1851 में राजा लक्ष्मण सिंह की मृत्यु के बाद, रानी अवंतीबाई ने अपने नाबालिग पुत्र विक्रमजीत सिंह के संरक्षक के रूप में रामगढ़ की बागडोर संभाली।ALSO READ: एकनाथ छठ क्यों मनाई जाती है, जानिए संत के बारे में 5 खास बातें
 
अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह: अंग्रेजों ने 'व्यपगत के सिद्धांत' (अर्थात् ब्रिटिश सरकार की एक विलय नीति के तहत, यदि किसी शासक का कोई उत्तराधिकारी नहीं हो, तो उसका राज्य ब्रिटिश साम्राज्य में शामिल कर लिया जाता था और इस नीति को लॉर्ड डलहौज़ी ने पेश किया था) के तहत रामगढ़ रियासत को अपने कब्जे में लेने की कोशिश की, लेकिन रानी अवंतीबाई ने इसका कड़ा विरोध किया। उन्होंने आसपास के राजाओं और जमींदारों को एकजुट करके अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका।
 
प्रेरणास्पद कार्य : रानी अवंतीबाई का बलिदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना है, क्योंकि उनकी वीरता और देशभक्ति आज भी लोगों को प्रेरित करती है। उन्होंने महिलाओं को भी स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया था। 
 
युद्ध में उनकी बहादुरी और निधन: रानी अवंतीबाई ने अपनी सेना का नेतृत्व करते हुए अंग्रेजों के खिलाफ कई युद्ध लड़े। उन्होंने अंग्रेजों को कई बार हराया और उन्हें पीछे हटने के लिए मजबूर किया। 20 मार्च 1858 को उन्होंने देवहारगढ़ (मध्य प्रदेश) के पास अंग्रेजों से लड़ते हुए वीरगति प्राप्त की। रानी अवंतीबाई का बलिदान हमें यह याद दिलाता है कि हमें हमेशा अपने देश की स्वतंत्रता और सम्मान के लिए लड़ना चाहिए।
 
भारत की प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की आदर्श वीरांगना, साहस की प्रतिमूर्ति रानी अवंतीबाई लोधी को उनके बलिदान दिवस पर कोटि-कोटि नमन। 

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।ALSO READ: एकनाथ षष्‍ठी कैसे मनाएं, क्यों मनाया जाता है यह पर्व

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