10 मार्च पुण्यतिथि विशेष: भारत की पहली महिला शिक्षिका थीं सावित्रीबाई फुले, पढ़ें खास बातें

Webdunia
जन्म- 3 जनवरी 1831
निधन- 10 मार्च 1897
 
1. सावित्रीबाई फुले (Savitribai Phule) को कौन नहीं जानता। वे एक कवयित्री, महान समाज सुधारक और भारत की पहली महिला शिक्षिका थीं। 
 
2. उनका जन्म महाराष्ट्र के एक किसान परिवार में 3 जनवरी 1831 को हुआ था। सावित्रीबाई फुले के पिता का नाम खंडोजी नेवसे और माता का नाम लक्ष्मीबाई था। 
 
3. उन्होंने महात्मा ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर सन् 1848 में बालिकाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की उनके पति ज्योतिबा भी समाजसेवी थे।  
 
4. सन् 1840 में मात्र 9 वर्ष की उम्र में सावित्रीबाई फुले का विवाह 12 वर्ष के ज्योतिराव फुले के साथ हुआ, वे बहुत बुद्धिमान, क्रांतिकारी, भारतीय विचारक, समाजसेवी, लेखक एवं महान दार्शनिक थे। उन्होंने अपना अध्ययन मराठी भाषा में किया था। 
 
5. महिला अधिकार के लिए संघर्ष करके सावित्रीबाई ने जहां विधवाओं के लिए एक केंद्र की स्थापना की, वहीं उनके पुनर्विवाह को लेकर भी प्रोत्साहित किया। 
 
6. उस समय जब लड़कियों की शिक्षा पर सामाजिक पाबंदी बनी हुई थी, तब सावित्रीबाई और ज्योतिराव ने वर्ष 1848 मात्र 9 विद्यार्थियों को लेकर एक स्कूल की शुरुआत की थी। 
 
7. सावित्रीबाई और ज्योतिराव फुले की कोई संतान नहीं हुई। अत: उन्होंने एक ब्राह्मण विधवा के पुत्र यशवंत राव को गोद लिया था, जिसका उनके परिवार में काफी विरोध हुआ तब उन्होंने परिवार वालों से अपने सभी संबंध समाप्त कर लिया। 
 
8. उस जमाने में गांवों में कुंए पर पानी लेने के लिए दलितों और नीच जाति के लोगों का जाना उचित नहीं माना जाता था, यह बात उन्हें बहुत परेशान करती थी, अत: उन्होंने दलितों के लिए एक कुंए का निर्माण किया, ताकि वे लोग आसानी से पानी ले सकें। उनके इस कार्य का खूब विरोध भी हुआ, लेकिन सावित्रीबाई ने अछूतों के अधिकारों के लिए संघर्ष करने का अपना कार्य जारी रखा।
 
9. फुले दंपति को महिला शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए सन् 1852 में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने सम्मानित किया था, सावित्रीबाई के सम्मान में डाक टिकट तथा केंद्र और महाराष्ट्र सरकार ने उनकी स्मृति में कई पुरस्कारों की स्थापना की है।
 
10. सावित्रीबाई फुले भारत की ऐसी पहली महिला शिक्षिका थीं, जिन्हें दलित लड़कियों को पढ़ाने पर लोगों द्वारा फेकें गए पत्थर और कीचड़ का सामना करना पड़ा। ऐसी महान हस्त‍ी सावित्रीबाई फुले का पुणे में लोगों का प्लेग के दौरान इलाज करते समय वे स्वयं भी प्लेग से पीड़ित हो गईं और उसी दौरान 10 मार्च 1897 को उनका निधन हो गया था। 
 
rk 

Savitribai Phule

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

शिशु को ब्रेस्ट फीड कराते समय एक ब्रेस्ट से दूसरे पर कब करना चाहिए शिफ्ट?

प्रेग्नेंसी के दौरान पोहा खाने से सेहत को मिलेंगे ये 5 फायदे, जानिए गर्भवती महिलाओं के लिए कैसे फायदेमंद है पोहा

Health : इन 7 चीजों को अपनी डाइट में शामिल करने से दूर होगी हॉर्मोनल इम्बैलेंस की समस्या

सर्दियों में नहाने से लगता है डर, ये हैं एब्लूटोफोबिया के लक्षण

घी में मिलाकर लगा लें ये 3 चीजें, छूमंतर हो जाएंगी चेहरे की झुर्रियां और फाइन लाइंस

सभी देखें

नवीनतम

सार्थक बाल साहित्य सृजन से सुरभित वामा का मंच

महंगे क्रीम नहीं, इस DIY हैंड मास्क से चमकाएं हाथों की नकल्स और कोहनियां

घर में बेटी का हुआ है जन्म? दीजिए उसे संस्कारी और अर्थपूर्ण नाम

क्लटर फ्री अलमारी चाहिए? अपनाएं बच्चों की अलमारी जमाने के ये 10 मैजिक टिप्स

आज का लाजवाब चटपटा जोक : अर्थ स्पष्ट करो

अगला लेख