अटल बिहारी वाजपेयी : इतिहास पुरुष

अटलजी : भारतीय राजनीति के गौरव...

Webdunia
25 दिसंबर जन्मदिन पर विशेष

FILE


ग्वालियर की धरती पर एक ऐसा गुदड़ी का लाल पैदा हुआ जिसने अपने व्यक्तित्व और कृतित्व से भारत का नाम विश्व में स्वर्णाक्षरों में लिख दिया। एक सामान्य शिक्षक के घर में पैदा हुए उस असामान्य व्यक्तित्व का नाम है - प्रखर राष्ट्रवादी भारतमाता के सपूत पं. अटल बिहारी वाजपेयी। '25 दिसंबर' को भारतीय जनता पार्टी ने 'सुशासन दिवस' के रूप में मनाने का निर्णय लिया है।

अटलजी की उदारता को समझने की जो लोग कोशिश करना चाहें वे सिर्फ इस वाक्य से समझ सकते हैं 'जय जवान, जय किसान और जय विज्ञान।' भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लालबहादुर शास्त्री ने नारा दिया था 'जय जवान, जय किसान'।

अटलजी प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने यह नहीं कहा कि यह नारा हटा दो बल्कि उन्होंने कहा कि इसके आगे एक शब्द और जोड़ दो 'जय विज्ञान।' 'जय जवान, जय किसान और जय विज्ञान' इसे उदारता और राजनीतिक श्रेष्ठता का अद्वितीय उदाहरण माना जा सकता है।

FILE
अटलजी ग्वालियर के वे 'गौरवदीप' हैं, वहीं भारत के वे 'अमोल रत्न' हैं। वे अस्वस्थ हैं। उनका संपर्क अब किसी से नहीं है। काफी समय हो गया उनकी सभा सुने। 'वाणी' में प्राण और प्राण में 'प्रण' लेकर बिरले लोग ही पैदा होते हैं।

अटलजी से जुड़ी अनेक स्मृतियां करोड़ों लोगों के स्मृति पटल पर आज भी अजर-अमर हैं। लगता है कल ही की तो बात है, अटलजी से मिलकर आए थे। वे शहरों में रहने के आदी नहीं रहे। उन्होंने कभी नहीं सोचा होगा कि वे भारत के प्रधानमंत्री बनेंगे पर इसके उलट देशवासी वर्षों से इंतजार कर रहे थे कि कब बनेंगे प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी।


25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में जन्मे 'अटलजी' भारतीय राजनीति का वह नाम है जिस पर एक दल भाजपा नहीं बल्कि जिस पर भारत गौरव करता है। आज भी अटलजी सेंट्रल हॉल से लेकर दोनों सदनों के प्रत्येक सदस्य की जुबां पर छाए रहते हैं। कोई दिन ऐसा नहीं बीतता है जब अटलजी की चर्चा नहीं होती हो।

अटलजी अभिमान हैं। अटलजी स्वाभिमान हैं। अटलजी सम्मान हैं। अटलजी अनुराग हैं। अटलजी सहज हैं। अटलजी आशीष हैं। अटलजी स्नेह हैं। अटलजी समुख हैं। अटलजी सत्यम्‌, शिवम्‌ और सुन्दरम्‌ हैं। अटलजी साहित्य हैं।

अटलजी कवि हैं। अटलजी प्रख्यात चिंतक हैं। उनकी दूरदृष्टि के सभी कायल हैं। वे मूल में विचारक हैं। वे गीतायण, सीतायण और रामायण के प्रतीक हैं। वे कल-कल बहती सरिता हैं। वे विंध्याचल के अटूट पहाड़ हैं। उनमें मां का ममत्व है तो उनमें पिता का पुण्य भी है।

' अटलजी' संसद के गौरव हैं तो वे गांव के ग्रामीणों की आत्मा की आवाज भी हैं। वे कुल देवता हैं। वे ग्राम देवता हैं। वे शीतल छायादार वृक्ष हैं। वे मित्रों के मित्र हैं ही, पर जो उन्हें अपना नहीं मानते उसे भी वे अपना लेते हैं। वे राजनीति की आस्था और निष्ठा हैं। वे राजनीति में 'विश्वास' हैं। वे राजनीति में मर्यादा के पालक हैं।



वे शालीनता और विनम्रता के पुंज हैं। वे 'वरद्' पुंज हैं। वे शब्दों के साधक हैं और भारत माँ के आराधक हैं। उनकी रग-रग में भक्ति और जनशक्ति है। वे 'आनंद' के प्रतीक हैं। वे अंधेरे के लिए प्रकाश हैं।

अटलजी पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने। वे जब प्रधानमंत्री बने तो संघ ने ही नहीं उन्होंने स्वयं ताकत से और स्नेह से कहा कि मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्वयंसेवक हूं। वे संकल्प के धनी हैं। जनता पार्टी बनी तो राष्ट्रहित में जनसंघ विसर्जित कर दिया और जब दोहरी सदस्यता का सवाल खड़ा किया तो साफ शब्दों में कहा कि जिस आंचल में बचपन बीता, उसे कैसे छोड़ सकते हैं।

उन्होंने दो-टूक शब्दों में कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबंध है और सदैव रहेगा। आप चाहें तो विचार करें। हमारा तो विचार सदैव अडिग और अमर है। विचारधारा की यह प्रबलता आज की भारतीय राजनीति भोग रही है। आज राजनीतिज्ञों के जीवन में विचारधारा में आई लचरता अनेक प्रश्न खड़े करती है। अटलजी हर परीक्षा में खरे उतरे। वे 'सच' हैं। उन्होंने सदैव स्पष्टता रखी और अपनी बात कही, पर माना वही जो सामूहिक निर्णय हुआ।


' अटलजी' शब्द नहीं और केवल नाम नहीं है। 'वे' बहुत विषयों के शोधित ग्रंथ हैं। वे दर्शन हैं। वे शानदार 'डिप्लोमेट' रहे। वे भारत को जानते थे और भारत के साथ-साथ भारत की चित्ति को भी जानते थे।

' अटलजी' वे शख्स हैं जिन्होंने स्वयं सदन में छोटी-सी उम्र में तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. नेहरू से दो-दो हाथ किए थे। 'अटलजी' और 'लालजी' (लालकृष्ण आडवाणी) की जोड़ी बेमिसाल रही। विश्वास की ऐसी कड़ी भारतीय राजनीति का अनुपम उदाहरण है।

' अटलजी', देश चाहता है कि आप स्वस्थ हों। 'आप' के प्रति प्रत्येक देशवासी की शुभकामनाएं हैं। विपक्ष में रहकर सत्तापक्ष में अपने प्रति असीम सम्मान और सत्ता में रहकर विपक्षियों के मन में अनमोल स्थान बनाने की जो दैवीय शक्ति अटलजी में रही, वह भारत सदैव याद करता है। वे भले ही अस्वस्थ हैं, पर उनके स्वस्थ होने की कामना करोड़ों लोग ईश्वर से हाथ जोड़कर कर रहे हैं।

- प्रभात झा

वेबदुनिया पर पढ़ें

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

इन 6 तरह के लोगों को नहीं खाना चाहिए आम, जानिए चौंकाने वाले कारण

बहुत भाग्यशाली होते हैं इन 5 नामाक्षरों के लोग, खुशियों से भरा रहता है जीवन, चैक करिए क्या आपका नाम है शामिल

करोड़पति होते हैं इन 5 नामाक्षरों के जातक, जिंदगी में बरसता है पैसा

लाइफ, नेचर और हैप्पीनेस पर रस्किन बॉन्ड के 20 मोटिवेशनल कोट्स

ब्लड प्रेशर को नैचुरली कंट्रोल में रखने वाले ये 10 सुपरफूड्स बदल सकते हैं आपका हेल्थ गेम, जानिए कैसे

सभी देखें

नवीनतम

हिंदी साहित्य के 15 शीर्ष उपन्यास जिन्हें पढ़े बिना अधूरा है किसी पाठक का सफर

स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी बिरसा मुंडा की मौत कैसे हुई?

अंतरिक्ष में नई कहानी लिखने की तैयारी, शुभ हो शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा

बीमारियों से बचना है तो बारिश में रखें ये 10 सावधानियां

मिलिंद सोमन की मां 85 साल की उम्र में कैसे रखती हैं खुद को इतना फिट, जानिए उनके फिटनेस सीक्रेट