मार्क ट्वेन - शरारती उपन्‍यासकार

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- डॉ. हरिकृष्ण देवसरे

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अमेरिका की मिसिसीपी नदी के तट पर बसा हेनीबल गाँव। सूर्योदय होते ही लोग अपने-अपने काम में जुट गए। गलियों में बच्चों का शोर गूँज उठा। अचानक एक सीटी की आवाज ने सबको चौंका दिया। बच्चे नदी की ओर भागे। उस दिन हेनीबल गाँव के नदी तट पर एक स्टीमर आया था। सब लोग आश्चर्य और उत्सुकता से उसे देख रहे थे। विशेष रूप से बच्चे। इन्हीं बच्चों में एक का नाम था-सैमुएल क्लीमेंस।

स्टीमर का कप्तान एक नाव पर सवार होकर, एक बड़े बाँस से पानी की गहराई नाप रहा था। फिर एक जगह उसने बाँस गाड़ दिया। स्टीमर वहीं आकर रुक गया। बालक क्लीमेंस कप्तान के इस काम को बड़े ध्यान से देख रहा था। जैसे ही कप्तान नाव से उतर कर किनारे पर आया, क्लीमेंस ने उसे रोक लिया। वह बालक बड़ी निर्भीकता से कप्तान के पास आया और उससे पूछा, 'इसे क्या कहते हैं?' उसका इशारा स्टीमर की तरफ था।

स्टीमर, इसमें बैठकर तुम सैर कर सकते हो इसमें सामान भी ढोया जा सकता है। लेकिन आप बाँस से क्या नाप रहे थे? बालक ने पूछा पानी की गहराई। स्टीमर वहीं पर आसानी से खड़ा हो सकता है जहाँ पानी दो फैदम गहरा हो। दो फैदम यानी बारह फुट। इस बाँस में दो फैदम का ये निशान बना है, जिससे हम पानी की गहराई नापते हैं। इस निशान को 'मार्क ट्वेन' यानी दो फैदम का निशान कहते हैं।

शरारती क्लीमेंस ने बचपन के शैतानी भरे जीवन पर एक उपन्यास लिखा जो बच्चों में बेहद चर्चित हुआ।
सैमुएल क्लीमेंस को वह बाँस और उसमें बना 'मार्क ट्वेन' यानी दो फैदम का निशान बड़ा रोचक लगा। कप्तान ने भी उसे बालक की निर्भिकता देखकर उसे स्टीमर दिखाने और घुमाने का वादा किया।

सैमुएल क्लीमेंस का जन्म फ्लोरिडा में वर्ष 1835 में हुआ था। शरारत करने में क्लीमेंस का पहला नंबर आता था। पढ़ने-लिखने के नाम से उसे बुखार आ जाता था। जब वह बारह साल का हुआ तो पिता की मृत्यु हो गई। अब क्लीमेंस को पढ़ाई के साथ मजदूरी भी करनी पड़ी। बाईस साल की उम्र में उसने एक नाविक की नौकरी की। फिर उसे छोड़कर एक समाचार पत्र का संवाददाता बन गया। सन्‌ 1870 में वह एक पत्र का संपादक बन गया। इसी बीच वह हास्य व्यंग्य की कहानियाँ लिखने लगा। एक दिन उसने सोचा कि क्यों न अपने बचपन के शैतानी भरे जीवन पर एक उपन्यास लिखूँ।

उसने एक छद्म नाम से लिखना चाहा। तभी उसे 'मार्क ट्वेन' वाले बाँस की घटना उसे याद आई। और उसने अपना नाम रखा 'मार्क ट्वेन।' उसने अपने उपन्यास का नाम रखा 'टॉम सायर'। जब यह प्रकाशित हुआ तो उसे विश्व भर के बच्चों ने पसंद किया। वह विश्व बाल साहित्य का कालजयी उपन्यास है। टॉम एक ऐसा चरित्र बन गया है जो शरारती और नटखट होकर भी चतुर है और वह अच्छे काम करना भी पसंद करता है। मार्क ट्वेन के व्यंग्य भी अंग्रेजी साहित्य की धरोहर स्वीकार किए गए। टॉम सायर उपन्यास के पाठक-बच्चों में बहुत कम को मालूम होगा कि उसके लेखक का नाम मार्क ट्वेन क्यों पड़ा?

( लेखक 'पराग' के पूर्व संपादक और प्रसिद्ध बाल-साहित्यकार हैं।)

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