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मेरा बचपन : अन्नू मलिक

Webdunia
गुरुवार, 3 दिसंबर 2009 (12:05 IST)
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मेरी पैदाइश मुंबई की है और मेरा बचपन भी वहीं बीता। स्कूल के दिनों में मैं बहुत शैतान हुआ करता था। बचपन में मुझे मराठी की कविताएँ याद रखने में बहुत दिक्कत होती थी और इसलिए मैं उन्हें गाकर याद करता था। इस तरह स्कूली जिंदगी में लय का प्रवेश हुआ।

गाकर किसी भी बात को याद रखना आसान होता है। इसलिए तो बचपन में पहाड़े भी गाकर याद करते हैं। तो इन कविताओं को गाने के लिए मैं अपनी धुन खुद बनाता था। मेरे पिताजी को देखकर बचपन से ही मैंने तय कर लिया था कि मुझे संगीत निर्देशक ही बनना है। मुझे गाना भी बहुत पसंद है। संगीत देने के साथ बहुत सी फिल्मों में मैंने गाने भी गाए हैं। आप सभी भी अपनी धुन बनाओ और उसी धुन में गाते जाओ।

बचपन की मजेदार यादों में एक घटना यह है कि जब मैं छठी कक्षा में था। तो हमारी कक्षा में एक लड़की भी थी जिसे हम 'चिकलेट्‍स' (च्यूंइगम) कहकर बुलाते थे। चिकलेट्‍स के बाल बहुत लंबे थे। हम उसे खूब चिढ़ाते थे पर वह कभी पलटकर जवाब नहीं देती थी। मैं क्लास में लास्ट बेंच पर ही बैठता था और जब भी बोर होता था तो क्लास में तबला बजाने लग जाता था। एक दिन जब टीचर क्लास में पढ़ा रहे थे तो मैंने बेंच को तबला बना लिया और तक-धिना-धिन बजाने लगा।

चिकलेट्‍स ने खड़े होकर कहा कि मैं डिस्टर्ब कर रहा हूँ। बस फिर क्या था सर ने मुझे तीन पीरियड तक बेंच पर खड़ा रखा। मुझे चिकलेट्‍स पर बहुत गुस्सा आया। इसके बाद मैंने जेब से च्यूंइगम निकाली और चबाकर उसके बालों में लगा दी। लगा कि अब पनिशमेंट मिल सकती है। पनिशमेंट का ख्‍याल आते ही मैं बहुत डर गया और मैंने च्यूइंगम का रैपर दूसरे लड़के की तरफ फेंक दिया।

वह लड़का पकड़ा तो गया पर उसने कहा कि यह काम उसका नहीं है। उसे सजा भी नहीं मिली। चिकलेट्‍स को बालों की च्यूइंगम से छुटकारा पाने के लिए अपने बाल कटवाने पड़े। इस तरह यह किस्सा तो खत्म हुआ पर इसके कुछ दिनों बाद चिकलेट्‍स मेरे पास आई और बोली कि उसने टीचरसे मेरी शिकायत करके ठीक नहीं किया और अब वह कभी इस तरह की शिकायत नहीं करेगी।

साथ ही उसने यह भी कहा कि अब कभी मेरे बालों में ‍च्यूंइगम मत लगाना वरना मुझे फिर से अपने बाल कटवाने पड़ेंगे। इस दिन मुझे अपनी गलती का अहसास हुआ। मुझे अपने किए पर दुख भी हुआ कि मेरे कारण किसी को इतनी तकलीफ हुई। इसके बाद वह लड़की स्कूल में मेरी अच्छी दोस्त बन गई थी। इस घटना से मैंने सबक लिया कि थोड़ी-बहुत शैतानी जरूर करो पर ऐसा कोई काम मत करो जिससे दूसरे को कोई तकलीफ पहुँचे। स्कूल के दिनों की यह सीख हमेशा मेरे साथ है।

दोस्तो, मैं संगीतकार हूँ इसलिए आपसे यह जरूर कहूँगा कि जीवन में सुर-ताल का महत्व जरूरी है। आप सभी को कुछ गाना और कोई वाद्ययंत्र जरूर सीखना चाहिए। इसके अनेक फायदे हैं। दोस्तो, स्कूल के दिनों में मैंने छुपकर फिल्में देखने का काम भी किया है, पर अब तो दुनिया बहुत बदल गई है। अब फिल्म देखना भी आसान है। अब तो घर के टेलीविजन सेट पर ही इतनी फिल्में देखने को मिल जाती हैं।

खैर..। आप सभी बचपन के इन दिनों में जो कुछ भी काम करोगे वे आगे चलकर आपके काम में मदद करेंगे। मुझे भी यह बात बड़ा होने पर ही समझ आई। बचपन में मैंने जो भी मटरगश्ती की उसने भी मुझे कुछ न कुछ सिखाया है। किताबों को पढ़ना जितना जरूरी है उतना ही जरूरी बचपन में दूसरे शौक रखना भी है। संगीत, खेल या दूसरी तरह का कोई शौक तुम्हें एक दिलचस्प इंसान बनाएगा। याद रखो, हमेशा विविधता में रुचि दिखाना। मोनीटोनी को तोड़ने की कोशिश करना।

मैं देखता हूँ इंडियन आइडल में कई प्रतिभागी आते हैं। जो नया करते हैं मैं उन्हें पसंद करता हूँ और उन्हें ही सिलेक्ट करता हूँ। इसलिए अपने काम में नयापन लाओ। इंडियन आइडल की जजिंग मैंने इसलिए की क्योंकि नए गायकों को कुछ बातें बता सकूँ। हालाँकि मैं कई बार नए गायकों को डाँट भी देता हूँ पर यह उनके लिए जरूरी है। सही बात पता चलेगी तभी तो वे अच्छे गायक बन सकेंगे। खूब बातें हुई... अब गुडबाय। फिर कभी हुआ तो जरूर मुलाकात होगी।

आपका
अन्नू मलिक

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